HomeUP Newsबसपा के टिकट वितरण प्लान ने विरोधियों की बढ़ाई मुश्किलें

बसपा के टिकट वितरण प्लान ने विरोधियों की बढ़ाई मुश्किलें

लखनऊ। बसपा में प्रत्याशी चयन का तरीका औरों से अलग है। बसपा मुखिया सुश्री मायावती ही प्रत्याशी के नाम पर अंतिम मुहर लगाती हैं और राष्ट्रीय, प्रदेश या जिला स्तर के पदाधिकारियों को भी मायावती की अंतिम मुहर के बाद ही प्रत्याशी के बारे में जानकारी हासिल होती है। प्रत्याशियों की घोषणा भी राज्यस्तर पर न होकर मंडल कोआर्डिनेटर जिलों में प्रत्याशियों का नाम घोषित करता है। पहले चुनाव का ऐलान होने से पहले ही बसपा प्रत्याशी को लोकसभा चुनाव प्रभारी बनाकर यह संकेत देती रही है कि यही शख्स अगला प्रत्याशी होगा मगर इस बार बसपा ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। अभी तक प्रत्याशी के नाम का ऐलान इसलिए भी नहीं हो पा रहा है क्योंकि गोरखपुर मंडल में अन्तिम चरण में चुनाव होना है जबकि बस्ती मंडल में उससे पहले लेकिन दोनों ही मंडलों में बसपा ने अभी तक अपने उम्मीदवार तय नहीं किए हैं।

उम्मीदवारों के चयन में देरी के पीछे के कारणों के बारे में सूत्र बदली रणनीति बता रहे हैं। अभी भाजपा के प्रत्याशियों का ही चेहरा सामने आया है। समाजवादी पार्टी ने भी एकाध सीट पर ही प्रत्याशी घोषित किए हैं। कांग्रेस अभी किसी भी सीट पर प्रत्याशी तय नहीं कर पाई। बसपा चाहती है कि पहले सभी दल प्रत्याशी घोषित कर दें तो वह प्रतिद्वंदी प्रत्याशियों के चेहरे यानी जाति के आधार पर अपना उम्मीदवार तय करे।दरअसल बहुजन समाज पार्टी का अपना काडर है। दलित समाज में पार्टी की पकड़ होने के साथ ही अन्य समाज से उम्मीदवार की घोषणा कर अब तक पार्टी अपना परचम लहराते आई है। पार्टी ने 2009 में गोरखपुर-बस्ती में मंडल में काफी बेहतर प्रदर्शन किया था लेकिन उसके बाद एक के बाद एक कर हुए दो लोकसभा चुनाव में वह प्रदर्शन पार्टी दोहरा नहीं पाई। हालांकि दोनों चुनाव में मोदी लहर का हवाला दिया गया और बताया गया कि यही हाल अन्य पार्टियों कांग्रेस और सपा का भी रहा।

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