योग भारत के महान और प्राचीन विद्वानों द्वारा खोजी गई विधा है, जो प्राकृतिक तरीके से व्यक्ति को स्वस्थ बनाने पर केंद्रित होती है। सेतुबंध का नाम दो शब्दों पर रखा गया है, सेतु और बॅध। सेतु का मतलब होता है ‘पुल’ और बँध का मतलब ‘बाँधना’। इस आसन में अपने शरीर को एक सेतु की मुद्रा में बाँध कर या रोक कर रखते है, इस लिए इस आसन का नाम ‘सेतुबंधासन’ रखा गया। आपके ब्रेन और रीढ़ के लिए काम करने वाले अधिक प्रभावी योगों में से एक है।
सेतुबंध करने का तरीका:
1. योग मैट पर पीठ के बल लेट जाएं। सांसो की गति सामान्य रखें।
2. इसके बाद हाथों को बगल में रख लें।
3. अब धीरे-धीरे अपने पैरों को घुटनों से मोड़कर हिप्स के पास ले आएं।
4. हिप्स को जितना हो सके फर्श से ऊपर की तरफ उठाएं। हाथ जमीन पर ही रहेंगे।
5. कुछ देर के लिए सांस को रोककर रखें।
6. इसके बाद सांस छोड़ते हुए वापस जमीन पर आएं। पैरों को सीधा करें और विश्राम करें।
7. 10-15 सेकेंड तक आराम करने के बाद फिर से शुरू करें।
सेतु बंधासन करने के फायदे :
1. सीने, गर्दन और रीढ़ की हड्डी में खिंचाव पैदा करता है।
2. पाचन सुधारता है और मेटाबॉलिज्म सुधारता है।
3. एंग्जाइटी, थकान, कमर दर्द, सिरदर्द और इंसोम्निया में फायदेमंद
4. रीढ़ की हड्डी में लचीलापन बढ़ाता है।
5. दिमाग को शांत करता है।
6. फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है और थायरॉयड की समस्या में फायदेमंद।
7. रक्त संचार सुधारता है।