Lifestyle : बच्चा है तो कार्टून तो देखेगा ही। अगर आपकी भी यही सोच है तो इसे बदलने की जरूरत है। ज्यादा कार्टून देखना आपके बच्चे के मानसिक सेहत के साथ-साथ उसके सामान्य स्वभाव को भी प्रभावित कर सकता है। टीवी की लत से बच्चे को इस प्रकार बचायें। किसी भी मां से पूछ कर देखिए, वह अपने बच्चे के टीवी देखने की लत से परेशान जरूर मिलेगी। वहीं साइकोलॉजिस्ट के मुताबिक, ‘सभी जानते हैं कि बच्चे जो देखते हैं, वही सीखते हैं। टीवी और उस पर आने वाले कार्टून सीरियरल का असर उन पर तेजी से बढ़ रहा है। वहीं दूसरी ओर उनमें सोशल स्किल्स कम हो रहे हैं। यही वजह है कि 8 से 15 साल के 13 प्रतिशत बच्चों में एडीएचडी, ऑटिज्म, एंजाइटी आदि मानसिक परेशानियां पाई जाती हैं। टीवी की इसी लत के कारण किसी एक चीज पर ध्यान केंद्रित करने में भी उन्हें परेशानी होती है।
पढ़ाई-लिखाई से जुड़ी परेशानियां भी इसी लत का नतीजा है। इन समस्याओं से छुटकारा पाने का एक ही उपाय है, टीवी देखने की आदत पर नियंत्रण।’ अगर आप चाहती हैं कि आपके बच्चे को कार्टून की लत न लगे, वह खेलकूद और पढ़ाई में भी पूरी तरह से सक्रिय रहे, तो इसके लिए कोशिश भी आपको ही करनी होगी।
टीवी प्रोग्राम हो सही – बच्चे पर टीवी के लिए एकदम पाबंदी लगाना तो संभव नहीं है, इसलिए जरूरी है कि आप यह ध्यान दें कि आपका बच्चा टीवी पर कोई अच्छा व ज्ञानवर्धक प्रोग्राम ही देखे। ऐसा कोई भी सीरियल या कार्टून शो जो बच्चे की सोच को नकारात्मक बना सकता है, उससे बचें। कोशिश करें कि बच्चा ऐसा प्रोग्राम देखे जिसमें वह भाग ले सके। जैसे कि क्विज प्रतियोगिता, कोई आर्ट वर्क बनाने की विधि आदि। इस तरह के प्रोग्राम देखने से आपके बच्चे का मानसिक विकास होगा। यदि आपका बच्चा कुछ देखने की जिद करता है तो सबसे पहले उससे उस प्रोग्राम को देखने की वजह जानें। यदि वह ऐसा न कर पाए या उसकी मांग गलत हो तो उसे अपनी आपत्ति का कारण समझाएं।
टीवी देखने की समय सीमा निर्धारित करें – अक्सर माता-पिता बच्चे की शैतानियों व जिद से बचने के लिए उसे टीवी में ही व्यस्त रहने देने में राहत महसूस करते हैं। उन्हें लगता है, बाहर जाएगा, धूल-मिट्टी में खेलेगा, कपड़े गंदे करेगा या चोट लगा बैठेगा, इससे बेहतर है घर में ही आंखों के सामने टीवी देखता रहे लेकिन आपकी यह सोच गलत है। आप इसके दीर्घकालिक प्रभाव को नजरअंदाज कर रही हैं। बच्चे को अपने आसपास के वातावरण से सीखने का मौका दें। इस तरह उनका शारीरिक व मानसिक विकास ठीक प्रकार से होगा। उनकी टीवी देखने की समय सीमा निर्धारित करें। बच्चे को 1 या 2 घंटे से ज्यादा टीवी बिल्कुल न देखने दें।
टीवी देखते समय रहे साथ – कोशिश करें कि जब भी आपके बच्चे का टीवी देखने का टाइम है, उस वक्त आप भी उसके साथ बैठें। अपने काम करने के चक्कर में उसे अकेला बिल्कुल नहीं छोडें। टीवी देखते वक्त उसके हर सवाल का सही जवाब दें, यदि बच्चा सवाल न पूछे तो आप उससे उसके संदर्भ में सवाल पूछें। यदि बच्चे में किसी सीन को देखकर कोई गलत बात सीखने का अंदेशा हो तो बातों-बातों में उसे उस काम के दुष्परिणाम के बारे में जानकारी दें।
खाना-टीवी साथ नहीं – ज्यादातर परिवारों में लोग रात के वक्त खाना खाते हुए एक साथ बैठकर टीवी देखने को पारिवारिक एकजुटता का प्रतीक समझने की भूल करते हैं लेकिन यह सोच सरासर गलत है। रात का खाना सब मिलकर खाएं, लेकिन साथ में टीवी नहीं देखें। आपस में बात करें। खासकर बच्चों के मामले में अक्सर देखा गया है कि बच्चा टीवी में इतना मशगूल हो जाता है कि मां को बार-बार टोक कर खाना खत्म करने के लिए बताना पड़ता है। जब बच्चा खाना खा रहा है तो टीवी बिल्कुल न चलाएं। आप जैसा माहौल बनाएंगी, बच्चे में वही आदत बन जाएगी।
टीवी देखने के दौरान बतायें सही और गलत – बच्चे बहुत मासूम होते हैं। आप उन्हें जैसा बनाना चाहें, वैसा बना सकती हैं। अगर आपका बच्चा कुछ गलत कर रहा है तो उसकी वजह आप ही हैं। अक्सर माता-पिता टीवी और कार्टून को दोष देकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। आपको यह समझना होगा, यदि बच्चे ने टीवी कार्टून से कुछ गलत सीखा है तो उसकी वजह है कि आप उस वक्त उसके साथ नहीं थीं। यदि उसी वक्त आपने बच्चे के साथ उस प्रोग्राम पर बात की होती, तो गलत सीख को दिमाग में घर करने से रोक सकती थीं। बच्चा टीवी में जो कुछ भी देखता है उसके बारे में उससे खुलकर चर्चा करें। उसे यह बताएं कि कार्टून में वह जो देख रहा है, वह सच नहीं है।