चंडीगढ़ : पंजाब विजीलैंस ब्यूरो ने पंजाब स्माल इंडस्ट्रीज एक्सपोर्ट कारपोरेशन (पी.एस.आई.ई.सी) के औद्योगिक प्लाट की अलाटमैंट में हुए गबन के संबंधी अवतार सिंह पुत्र शेर सिंह निवासी माडल टाऊन, लुधियाना को गिरफ़्तार किया है जिसने अपने निजी मुफाद की ख़ातिर राज्य सरकार के खजाने को सीधा 1 52, 79, 000 रुपए का नुक्सान करवाया है। इस बारे जानकारी देते यहाँ स्टेट विजीलैंस ब्यूरो के वक्ता ने बताया कि इस सम्बन्ध में पी.एस.आई.ई.सी. के अधिकारियों/ कर्मचारियों और निजी व्यक्तियों विरुद्ध एफ.आई.आर. नंबर 04, तारीख़ 08.03.2024 को पहले ही आई.पी.सी. की धारा 409, 420, 465, 467, 468, 471, और 120- बी और भ्रष्टाचार रोकू कानून की धाराओं 13( 1 (ए) सहित 13(2 के अंतर्गत ब्यूरो के पुलिस थाना फलायंग सकुऐड- 1 पंजाब, एस.ए.एस. नगर में केस दर्ज किया हुआ है।
वक्ता ने आगे बताया कि पी.एस.आई.ई.सी.के समकालीन सी.जी.एम. सुरिन्दरपाल सिंह, जी.एम.जसविन्दर सिंह रंधावा और पीएसआईईसी के अन्य अधिकारियों/ कर्मचारियों ने प्राईवेट व्यक्तियों और प्रापरटी डीलरों के साथ मिलीभुगत करके औद्योगिक प्लाट की अलाटमैंट में धाँधली की थी। इसके साथ उन्होंने अपने निजी फायदे के लिए राज्य सरकार को करोड़ों रुपए का भारी नुक्सान पहुँचाया। वक्ता ने आगे बताया कि उक्त मुलजिम अवतार सिंह और उसका पुत्र दमनप्रीत सिंह, जो औद्योगिक प्लाट की ख़रीद- फ़रोत का कारोबार करते है, ने सीजीएम सुरिन्दरपाल सिंह और जीएम जेएस रंधावा के साथ मिल कर फेज 8 बी, इंडस्टरियल एरिया, एस.ए.एस. नगर में पीएसआईईसी के 1389 वर्ग गज़ के प्लाट नंबर ई- 261, को मैसर्ज सुखमनी इंटरप्राईज़ज़ के नाम पर अलाट करने में धाँधली की। उन्होंने दमनप्रीत सिंह के नाम पर चंडीगढ़ स्थित फ़र्ज़ी पते का प्रयोग कर केवल 1265 प्रति वर्ग गज. कीमत पर तारीख़ 13. 07. 2004 को उक्त प्लाट हासिल किया था।
वक्ता ने आगे कहा कि पी.एस.आई.ई.सी. के नियमों और अलाटमैंट पत्र के अनुसार, यदि अलाटमैंट के तीन महीनों के अंदर- अंदर अलाटी ( खरीदने वाले) द्वारा कुल रकम का 30 प्रतिशत भुगतान नहीं किया जाता तो प्लाट की अलाटमैंट रद्द कर दी जानी चाहिए थी परन्तु, ऐसा नहीं किया गया। इसके इलावा, अवतार सिंह ने शुरुआती 10 फीसद बयानो की रकम संचित करने के बाद पीएसआईईसी को अन्य कोई रकम संचित नहीं करवाई। इसके इलावा इस प्लाट की अलाटमैंट की तरीकें को बार- बार बदला गया। वक्ता ने आगे खुलासा किया कि अवतार सिंह ने जीएम जे.एस.रंधावा और सीजेएम सुरिन्दरपाल सिंह की मिलीभुगत के साथ यह प्लाट 2016 में असली ख़रीद रेट 1265 प्रति वर्ग गज़ पर आगे बेच दिया था जबकि 2013 में इसकी कीमत 11, 000 प्रति वर्ग गज़ था। केस की जांच में पता लगा है कि पीएसआईईसी अधिकारियों/ कर्मचारियों और एक प्रापरटी डीलर अवतार सिंह ने सरकारी खजाने को सीधे तौर पर 1 52,79, 000 रुपए का नुक्सान पहुँचाया। इसके इलावा अवतार सिंह, जी.एम.जे.एस. रंधावा और सी.जी.एम. सुरिन्दरपाल सिंह ने 2016 में उक्त प्लाट की फ़रोत और रद्दोबदल करके करोड़ों रुपए की रिश्वत ली थी। इस मामलो की आगे वाली जांच जारी है।