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केंद्रीय गृहमंत्रालय का बड़ा फैसला : सशस्त्र बल के जवानों की केंद्र की परमिशन के बिना नहीं होगी गिरफ्तारी 

नई दिल्ली । केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भारत संघ के सशस्त्र बल के जवानों को लेकर बड़ा फैसला किया है। अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भारत संघ के सशस्त्र बल के जवानों को केंद्र ने गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया है। राज्य में आर्टिकल 370 हटाने के बाद इस प्रोटेक्शन का प्रावधान किया गया है, यानि कि अब केंद्र की सहमति के बिना किसी जवान की गिरफ्तारी नहीं हो सकेगी जबकि तीन साल पहले तक राज्य में रणबीर पीनल कोड 1989 लागू था। रणबीर पीनल कोड 1989 के चलते दंड प्रक्रिया संहित सीआरपीसी के सेक्शन 45 ‘1973’ के तहत सशस्त्र बलों के सदस्यों को गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान नहीं था।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस लेकर जम्मू-कश्मीर के कानून, न्याय और संसदीय मामलों के विभाग से चर्चा करने के बाद उक्त प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दी है। गृह मंत्रालय ने भारत सरकार के विधि और न्याय मंत्रालय से भी सलाह ली है। सीआरपीएफ मुख्यालय सहित अन्य बलों ने उक्त आदेश जारी कर दिया है। जब सशस्त्र बलों के जवान किसी ऑपरेशन में आतंकियों के साथ लोहा लेते थे, तब एकाएक भीड़ द्वारा सुरक्षा बलों पर हमला कर दिया जाता था। सर्च ऑपरेशन के दौरान जवानों के साथ ऐसी घटनाएं होती रही हैं। उस वक्त स्थिति को संभालने के लिए जवानों द्वारा जब बल प्रयोग किया जाता, तब उन्हें ही आरोपी बनाकर कानूनी कार्रवाई के दायरे में लेने का प्रयास होता था।

अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, दोनों जगहों पर जवानों को गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया गया है। आदेशों में कहा गया है कि राज्य सरकार भी अपने पुलिस बलों/फोर्स को उक्त सेक्शन के सब-सेक्शन (1) के अंतर्गत प्रोटेक्शन प्रदान कर सकती है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में सेना के अलावा जितने भी केंद्रीय बल हैं, उन सभी के जवानों को गिरफ्तारी से संरक्षण मिलेगा।

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