चंडीगढ़: मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के निर्देशानुसार पुलिस स्टेशन स्तर पर नागरिक-केंद्रित पुलिसिंग पहल को और बेहतर बनाने के उद्देश्य से, पंजाब पुलिस ने सोमवार को आंतरिक पुलिस सुधारों पर भारतीय पुलिस फाउंडेशन परियोजना शुरू की, जिससे पंजाब इस तरह की पहली परियोजना बन गई है पहल करने वाला देश का पहला राज्य बन गया। यह अभूतपूर्व पहल शिकायत और एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया में सुधार के साथ-साथ पुलिस संचालन और व्यवहार एंव आचरण में सुधार, हिंसा को कम करने, बेहतर नागरिक सेवाओं और सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।
इस परियोजना का औपचारिक उद्घाटन पंजाब पुलिस अधिकारी संस्थान (पीपीओआई) में डायरैक्टर जनरल आफ पुलिस (डीजीपी) पंजाब गौरव यादव के नेतृत्व में विशेष पुलिस महानिदेशक (विशेष डीजीपी) सामुदायिक मामलों के प्रभाग गुरप्रीत कौर देओ ने किया।
इस अवसर पर आईपीएफ के उपाध्यक्ष एवं इस परियोजना के परियोजना निदेशक आईपीएस (सेवानिवृत्त) डा. ईश कुमार, डीआइजी रूपनगर-कम-प्रोजेक्ट राज्य नोडल अधिकारी नीलांबरी जगदले और ए.डी.जी.पी. (सेवानिवृत्त)-सह-परियोजना राज्य सुपरवाईजर गुरशरण सिंह संधू भी उपस्थित थे। इसके अलावा स्पेशल डीजीपी ईश्वर सिंह, स्पेशल डीजीपी अर्पित शुक्ला, एडीजीपी जी नागेश्वर राव, एडीजीपी एएस रॉय, डिप्टी कमिश्नर एसएएस नगर आशिका जैन, एसएसपी रूपनगर गुलनीत सिंह खुराना और एसएसपी एसएएस नगर दीपक पारीक भी उद्घाटन समारोह में शामिल हुए।
पंजाब में भारतीय पुलिस फाउंडेशन (आईपीएफ) द्वारा शुरू की गई यह परियोजना शुरू में दो जिलों, एसएएस नगर और रूपनगर में क्रमअनुसार छह और नौ पुलिस स्टेशनों को कवर करेगी, और अंततः पूरे पंजाब में लागू की जाएगी। यह परियोजना देश के तमिलनाडु, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ राज्यों में भी शुरू की जा रही है।विशेष पुलिस महानिदेशक (विशेष डीजीपी) सामुदायिक मामले प्रभाग (सीएडी) पंजाब गुरप्रीत कौर देओ ने सभा को संबोधित करते हुए इस परियोजना को सफल बनाने के लिए आईपीएफ को पूर्ण समर्थन की पेशकश की। उन्होंने कहा कि पंजाब पुलिस ने राज्य के लोगों को बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए हमेशा आंतरिक पुलिस सुधारों का स्वागत किया है।
उन्होंने कहा कि पंजाब सांझ परियोजना शुरू करने वाला पहला राज्य है, जहां लोगों को पुलिस सत्यापन, खोए हुए मोबाइल की रिपोर्ट इत्यादि जैसी बुनियादी सेवाओं के लिए पुलिस स्टेशन जाने की ज़रूरत नहीं है, बल्कि वे घर बैठे ऐसी सेवाओं के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। . इसके अलावा वे अपनी सुविधा के अनुसार राज्य भर के पुलिस स्टेशनों के साथ अलग से स्थापित किए गए सांझ केंद्रों से भी संपर्क कर सकते हैं, जहां उनकी सेवा के लिए सादी वर्दी में पुलिसकर्मी हमेशा मौजूद रहते हैं। उन्होंने कहा कि यह पहल नागरिक-अनुकूल पुलिसिंग और सामुदायिक जुड़ाव के प्रति पंजाब सरकार की मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
सभा को संबोधित करते हुए, निदेशक आईपीएफ ईश कुमार ने पंजाब पुलिस की परियोजना की सराहना की और इस परियोजना को एक छत के नीचे लोगों की शिकायतों का समाधान करने के लिए राज्य सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल बताया। इस दौरान उन्होंने सांझ परियोजना को अन्य राज्यों में लागू करने की योजना की भी घोषणा की।उन्होंने कहा कि इस 10 महीने के शोध कार्यक्रम में शिकायतकर्ताओं, सेवा लेने वालों, पीड़ितों, आरोपियों, गवाहों और नागरिक समाज के सदस्यों के साथ विस्तृत साक्षात्कार, चर्चा और प्रश्नावली शामिल होंगी। यह व्यापक दृष्टिकोण सुधार के क्षेत्रों की पहचान करने और सुधार की सिफारिश करने में मदद करेगा।
गौरतलब है कि आंतरिक पुलिस सुधार परियोजना का उद्देश्य पुलिस कर्मियों के पेशेवर और नैतिक मानकों को ऊपर उठाना, पुलिस संचालन में और सुधार लाना, बेहतर सेवाएं प्रदान करना और लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ाना है। पंजाब राज्य नागरिक अधिकारों, व्यावसायिकता और पारदर्शिता को प्राथमिकता देते हुए मानक संचालन प्रक्रियाओं को लागू करके पुलिस सुधारों का नेतृत्व करके अन्य राज्यों के लिए एक उदाहरण स्थापित करेगा।
आंतरिक पुलिस सुधारों के लिए उपयुक्त क्षेत्र
1. पहुंच और प्रतिक्रिया: पुलिस सेवाओं तक सार्वजनिक पहुंच बढ़ाएं और हेल्पलाइन कॉल (जैसे, 112) सहित सभी शिकायतों पर त्वरित और पेशेवर प्रतिक्रिया सुनिश्चित करें। शिकायत प्रबंधन दक्षता और अपराध रिपोर्टिंग प्रक्रियाओं में सुधार करना।
2. प्रभावी जांच प्रक्रियाएं: प्रभावी पूछताछ, सटीक बयानों की उचित रिकॉर्डिंग और वैज्ञानिक साक्ष्य के संग्रह पर ध्यान दें। संशोधित गिरफ्तारी कानूनों का कार्यान्वयन, अवैध हिरासत और तलाशी अभियानों पर रोक लगाना और विशेष रूप से महिलाओं और बुजुर्गों को होने वाली कठिनाइयों को दूर करना।
3. नागरिक सेवाएँ: अनुमोदन, एनओसी, लाइसेंस और पुलिस वैरीफीकेशन जारी करने जैसी सेवाओं को सरल और सुव्यवस्थित करना। पारदर्शिता बढ़ाना और नागरिकों को जागरूक रखना।
4. काम के लिए अनुकूल वातावरण: पुलिस स्टेशनों में सकारात्मक वातावरण बनाना और प्रेरणा, मान्यता और समर्थन के माध्यम से मनोबल बढ़ाना।
5. सामुदायिक पुलिसिंग: पुलिस और जनता के बीच विश्वास और सहयोग बनाने, स्थानीय मुद्दों का समाधान करने और सार्वजनिक सुरक्षा बनाए रखने की पहल को बढ़ावा देना।
6. लोगों के अनुकूल पुलिसिंग: शिकायतकर्ताओं और गवाहों के साथ सम्मानजनक व्यवहार सुनिश्चित करना, सार्वजनिक पहुंच में सुधार करना, पीड़ितों की सहायता करना और गवाहों की सुरक्षा करना।
7. पुलिस प्रशिक्षण: पेशेवर क्षमता विकसित करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का विस्तार