चंडीगढ़ : पंजाब के कृषि और किसान कल्याण मंत्री स. गुरमीत सिंह खुड्डियां ने आज कहा कि मुख्यमंत्री स. भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने आगामी सीजन के दौरान फ़सली अवशेष को जलाने की घटनाओं में 50 प्रतिशत कमी लाने का लक्ष्य निश्चित किया है। वह आज यहाँ मैगसीपा में पंजाब रिमोट सेंसिंग सैंटर ( पी. आर. एस. सी.), लुधियाना की तरफ से ‘एग्रो- जीओइनफोरमैटिकस के अधीन पराली जलाने की निगरानी के लिए अंतरिक्ष आधारित प्रौद्यौगिकी’ विषय पर करवाई एक दिवसीय राज्य स्तरीय वर्कशाप- कम- प्रशिक्षण प्रोग्राम को संबोधन कर रहे थे।
स. गुरमीत सिंह खुड्डियां ने कहा कि प्रदूषण एक विशाल मुद्दा है और इसलिए सिर्फ़ किसानों को ज़िम्मेदार ठहराने से ज़मीनी स्तर पर कुछ नहीं बदलेगा क्योंकि किसान भी बढ़ रहे प्रदूषण के शिकार हो रहे हैं। स. खुड्डियां ने कहा कि सभी को इकठ्ठा होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए वातावरण को बचाने के लिए कोई उपयुक्त हल निकालना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश को अनाज सुरक्षा पक्ष से आत्म निर्भर बनाने वाले पंजाब के मेहनती किसान और मज़दूर प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए अपना अधिक से अधिक योगदान देंगे।
उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार फसलों के अवशेष को जलाने के संकट से निपटने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रही है। इस मंतव्य के लिए वित्तीय साल 2023-24 के दौरान राज्य के किसानों को सब्सिडी पर लगभग 23000 फ़सली अवशेष प्रबंधन ( सी. आर. एम.) मशीनें मुहैया करवाई जा रही हैं। उन्होंने बताया कि सरकार के ठोस यत्नों स्वरूप पराली जलाने की घटनाएँ साल 2022 के 49,922 से कम होकर 2023 में 36,623 रह गई हैं, जो 26 फ़ीसद सकारात्मक बदलाव की गवाही भरता है। उन्होंने आगे कहा कि पहले सब्सिडी की सुविधा भारत सरकार के 100 फ़ीसद योगदान के अधीन चल रही थी परन्तु मौजूदा समय यह 60 फ़ीसद केंद्र और 40 फ़ीसद राज्य की हिस्सेदारी के आधार पर चलाई जा रही है।
इस दौरान विशेष मुख्य सचिव (विकास) के. ए. पी. सिन्हा ने कहा कि राज्य सरकार फ़सली अवशेष को जलाने की घटनाओं को और प्रभावशाली ढंग से काबू करने के लिए इस साल फ़सली अवशेष प्रबंधन ( सी. आर. एम.) मुहिम शुरू करने पर विचार कर रही है। इसके साथ ही सरकार की तरफ से भूजल की कमी की समस्या को हल करने के लिए दो फसलों ( गेहूँ- धान) के चक्कर से दूर करने के लिए किसानों को फ़सली विभिन्नता अपनाने के लिए उत्साहित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि पंजाब खेती प्रधान राज्य है, इसी कारण राज्य को देश का अन्नदाता कहा जाता है। यह सम्मान कृषि और पंजाब के साथ जुड़ा है और राज्य इसको हर हालात में बरकरार रखेगा। उन्होंने आगे कहा कि हाट- सपाट क्षेत्रों में इन-सीटू और एक्स-सीटू की क्षमता में विस्तार करने के साथ साथ छोटे, सीमांत और अनुसूचित जाति से सबंधित किसानों की सहायता के लिए सहकारी सभाओं को शामिल किया जायेगा। पी. आर. एस. सी. के डायरैक्टर डा. बी. पटेरिया ने पराली जलाने से हवा, मिट्टी की गुणवत्ता के साथ-साथ मानवीय सेहत पर होने वाले हानिकारक प्रभावों पर रौशनी डाली। उन्होंने धान की पराली को जलाने के खतरे से निपटने के लिए कृषि विभाग, ग़ैर सरकारी संस्थाओं, अकादमिक संस्थाओं, उद्योगों और किसानों के बीच तालमेल बनाने पर ज़ोर दिया।
भारतीय कृषि खोज संस्थान, नयी दिल्ली के प्रमुख विज्ञानी डा. विनय कुमार सहगल ने फ़सलों के अवशेष को जलाने में अंतरिक्ष प्रौद्यौगिकी के प्रयोग पर एक पेशकारी दी। ग्रुप हैड डॉ. आर. के. सेतिया ने पंजाब के संदर्भ में भू-स्थानीय प्रौद्यौगिकी की भूमिका और इसके प्रयोग के बारे जानकारी दी। ग्रुप हैड डा. हपिन्दर सिंह ने पंजाब में सैटेलाइट आधारित फसलों के अवशेष को जलाने की निगरानी करने की प्रक्रिया के बारे विस्तार से बताया।
पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के चेयरमैन प्रो. (डा.) आदर्श पाल विंग, डिप्टी कमिश्नर फाजिल्का सेनू दुग्गल, डिप्टी कमिश्नर फ़िरोज़पुर राजेश धीमान, डिप्टी कमिश्नर बठिंडा श्री शौकत अहमद परे और सिवल और पुलिस प्रशासन के अन्य सीनियर अधिकारियों ने भी इस विचार-विमर्श में हिस्सा लिया और सम्बन्धित भाईवालों के साथ तालमेल करके पराली जलाने पर काबू पाने सम्बन्धी अपने विचार भी पेश किये।