नई दिल्ली । अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा जैसी बड़ी एजेंसी के अलावा लोगों की निगाहें आज इसरो के 2024 के अभियानों पर हैं। इसरो के जिस सबसे बड़े अभियान का लोगों को इंतजार है, वह गगनयान अभियान है। इसरो का यह अभियान तीन चरणों में होगा और 2024 में इसके पहले दो चरण पूरे होने की उम्मीद है। गगनयान1 के जनवरी या फरवरी 2024 में प्रक्षेपित होने की उम्मीद है। यह क्रू रहित अभियान अंतरिक्ष यान के तंत्रों का परीक्षण करेगा। जबकि गगनयान 2 में एक ह्यमनॉइड को अंतरिक्ष में भेज यान की रीएंट्री और लैंडिंग सिस्टम का परीक्षण किया जाएगा। इसका तीसरा चरण 2025 में पूरा होने की उम्मीद है जिसमें तीन भारतीयों को पृथ्वी की कक्षा में भेज तीन दिनों तक भेजकर वापस पृथ्वी पर लाया जाएगा।
इसरो का साल 2024 का एक बहुत बड़ा अभियान नासा के सहयोग के साथ होने वाला “नासा इसरो सिंथेटिक अपर्चर राडार” यानि निसार अभियान है। यह सैटेलाइट जनवरी 2024 में प्रक्षेपित किया जाएगा जो रिमोट सेंसिंग के जरिए पृथ्वी की प्राकृतिक प्रक्रियाओं का अवलोकन करेगा। करीब 1.5 अरब डॉलर के इस अभियान के जरिए भूकंप, भूस्खलन, सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं की जानकारी भी हासिल की जा सकेगी। दुनिया के कई देश चंद्रमा पर कदम रखने की योजना पर काम कर रहे हैं और उनकी इस सूची में मंगल भी शामिल है। ऐसे में इसरो भी मंगल को लेकर उदासीन नहीं रहना चाहता है। इसलिए वह अपने दूसरे मंगल यान मार्स ऑर्बिटर मिशन 2 (एमओएम2) की तैयारी कर रहा है।
एमओएम 1 की सफलता के अब इसरो मंगल के वायुमंडल, सतह और जलवायु के अध्ययन के लिए एमओएम 2 की तैयारी में है जिसके उपकरण मंगल के मैग्नेटिक फील्ड के अलावा मंगल की सतह का नक्शा बनाने का भी काम करेंगे।
इसके प्रक्षेपण की सटीक तारीख तय नहीं हुई है, पर 2024 में इसका प्रक्षेपण हो सकता है। इसरो भी उन देशों में शामिल हो चुका है जो भविष्य के अभियानों की गंभीरता से तैयारी करता है। हैरानी की बात नहीं है कि 2024 में लोग यह जानने में खासी दिलचस्पी रखेंगे कि इसरो की शुक्र पर भेजे जाने वाले शुक्रयान1 अभियान की क्या तैयारी चल रही है। फिलहाल इसके प्रक्षेपण का अनुमानित समय दिसंबर 2024 और उसके आसपास है। शुक्रयान इस गर्म ग्रह का चक्कर लगाकर 5 साल तक इसका अध्ययन करेगा। इसरो साल 2024 में पल्सर, ब्लैक होल, एक्स रे द्विजों, एक्टिव गैलेक्टिक न्यूक्लियाई और सुपरनोवा अवशेषों का अध्ययन करेगा। इसके लिए एक्स रे पोलरोमीटर सैटेलाइट या एक्सपोसैट अभियान भेजा जाएगा। इसकी निश्चित तारीख का तो ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन इसके 2024 के शुरुआती महीनों में ही प्रक्षेपित किए जाने की उम्मीद है। इस अभियान के जरिए वैज्ञानिक अगले पांच सालों तक खगोलीय एक्स विकिरण के ध्रुवीकरण का अवलोकन कर सकेंगे। इनसैट श्रेणी की सैटेलाइट ने ही इसरो को स्पेस एजेंसी के तौर पर शानदार ऊंचाइयों तक पहुंचाने का काम किया है।