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गुजारे-भत्ते का मकसद पति को दंडित करना नहीं : पारिवारिक विवाद पर सुप्रीम कोर्ट बोला 

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने पारिवारिक विवाद के मामले में आदेश दिया कि पति अपनी पत्नी और बच्चों को 5 करोड़ रुपए का गुजारा-भत्ता दे। कोर्ट ने आदेश दिया कि पति फाइनल सेटलमेंट के तौर पर यह रकम पत्नी को दे। कोर्ट ने आदेश के दौरान यह साफ कर दिया कि गुजारा-भत्ता देने का मकसद यह नहीं है कि पति को सजा दी जाए। हम यह चाहते हैं कि पत्नी और बच्चे सम्मानित तरीके से जीवन गुजार सकें।जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रसन्ना बी की बेंच ने कहा कि सेटलमेंट में से एक करोड़ की रकम उनके बेटे के गुजारे-भत्ते और उसकी आर्थिक सुरक्षा के लिए तय की जाए।

इस केस में पति-पत्नी शादी के 6 साल बाद करीब 2 दशक तक अलग रहे। पति ने पत्नी पर आरोप लगाया था कि वे परिवार के साथ सही व्यवहार नहीं करती हैं। पत्नी का आरोप था कि पति का व्यवहार उनके लिए ठीक नहीं है। ऐसे में अदालत ने कहा कि दोनों पक्षों का शादी का नैतिक दायित्व निभाना संभव नहीं है। दोबारा शादी का संबंध निभा नहीं सकते और यह शादी टूट चुकी है।

पत्नी बेरोजगार, पति 12 लाख महीना कमाता है – कोर्ट ने फैसला सुनाते वक्त कहा कि पत्नी बेरोजगार है। वे घर का कामकाज करती है। उधर, पति फॉरेन बैंक में मैनेजेरियल पोस्ट पर है और हर महीना करीब 10-12 लाख रुपया कमाता है। ऐसे में हम यह शादी खत्म करते वक्त 5 करोड़ की रकम पर्मानेंट सेटलमेंट के तौर पर तय करते हैं, यह उचित है।

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