HomeNational Newsमुकाबला कड़ा था,पर कांग्रेस के दिग्गजों की हार से उठने लगे सवाल

मुकाबला कड़ा था,पर कांग्रेस के दिग्गजों की हार से उठने लगे सवाल

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने अच्छी वापसी की थी। एक दशक में यह कांग्रेस का सबसे अच्छा प्रदर्शन किया था। महाराष्ट्र की 48 में से 17 सीटें कांग्रेस के खाते में गई थीं। लेकिन विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने फिर से कांग्रेस को पहले वाली स्थिति में लौटा दिया। या यूं कहें कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हालत ही खराब हो गई। कई दिग्गज नेता चुनाव हार गए। ये सब कैसे हुआ इसको लेकर सवाल उठने लगे। कोई ईवीएम को जिम्मेदार बता रहा है तो कोई आपसी विवाद के चलते महाविकास अघाड़ी को नुकसान हुआ है।

जमीन पर कांग्रेस का अभियान कम दिखाई दे रहा था। उसका परिणाम यह हुआ कि कांग्रेस के बालासाहेब थोराट और पृथ्वीराज चव्हाण जैसे दिग्गज नेता भी अपनी सीट नहीं बचा पाए। 75 में से कांग्रेस किसी तरह 10 सीटें जीत पाई। जिन इलाकों में कांग्रेस की जीत हुई है, वे या तो अल्पसंख्यक बहुल था या फिर स्थानीय नेता की अच्छी पकड़ थी। कोंकण क्षेत्र में तो कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं बचा। उत्तर महाराष्ट्र, पश्चिमी महाराष्ट्र और मराठवाड़ा में भी एक-एक ही सीट कांग्रेस बचा पाई। राज्य में कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ही सकोली सीट बड़ी मुश्किल से बचा पाए। सिर्फ 208 वोटों से उनकी जीत हुई है। 2019 मे कांग्रेस ने 44 सीटें जीती थीं औऱ 2014 में 42 पर जीत हासिल की थी।

इस बार केवल 15 सीटें ही कांग्रेस के हाथ में आईं। महाराष्ट्र में इस बार महायुति ने तो ऐतिहासिक बहुमत प्राप्त किया किया है, अकेले बीजेपी ने भी सारे पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। पहली बार है जब बीजेपी को 132 सीटें मिली हैं। इससे पहले 2014 में बीजेपी को 122 और 2019 में 105 सीटों पर सफलता मिली थी। महाराष्ट्र में 75 सीटें ऐसी थीं जिनपर सीधा बीजेपी और कांग्रेस का मुकाबला था। कांग्रेस को करारा झटका देते हुए बीजेपी ने 65 सीटों पर कब्जा कर लिया।
बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में स्थिति देखने के बाद रणनीति में बड़ा बदलाव किया और आक्रामक अभियान चलाया।

उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और राज्य में बीजेपी चीफ चंद्रशेखऱ बावनकुले ने भी क्षेत्रों में प्रत्याशियों का सपोर्ट किया। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, नितिन गडकरी और योगी आदित्यनाथ ने एंटी -इनकंबंसेंसी कोकम करने में बड़ी भूमिका निभाई। जानकारों का कहना है कि आरएसएस की जमीनी पकड़ और अभियान बीजेपी की इस जीत के पीछे बड़ी वजह है। आरएसएस ने राज्य में 60हजार बैठकें की थीं। बीजेपी को इसका बड़ा फायदा मिला। कांग्रेस के पास इस तरह की जमीनी तैयारी का अबाव है। इसके अलावा कैंडिडेट सिलेक्शन का भी ध्यान सामाजिक समीकरणों के आधार पर रखा गया।

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