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टी.बी. रोगियों को पोषण व उपचार संबंधी कोई भी दिक्कत नहीं आने दी जाएगी-मुख्यमंत्री

चंडीगढ़ – हरियाणा के मुख्यमंत्री  मनोहर लाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भारत को वर्ष 2025 तक टी.बी. मुक्त बनाने के संकल्प को पूरा करने की दिशा में हरियाणा सरकार प्रदेश को वर्ष 2025 तक टी.बी. मुक्त बनाने के लिए कृतसंकल्प हैं। टीबी हारेगा और देश जीतेगा, इसी संकल्प के साथ हरियाणा सरकार सार्थक कदम उठा रही है। उन्होंने सभी टी.बी.रोगियों से अनुरोध किया कि सरकारी स्वास्थ्य संस्थाओं में उपलब्ध टी.बी. की मुफ्त जांच एवं उपचार सेवाओं का भरपूर लाभ उठाएं और टी.बी. के बारे में जागरूकता फैलाएं।

मुख्यमंत्री आज ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से निक्षय योजना के तहत उपचाराधीन टीबी रोगियों से सीधा संवाद कर रहे थे। उन्होंने टीबी रोगियों से अनुरोध किया कि वे सभी डॉक्टर की सलाह के अनुसार अपनी जांच करवाते रहें, जिनकी दवाई चल रही है, वे इलाज को बीच में बिल्कुल भी न छोड़ें। संवाद के दौरान रोगियों ने केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा टीबी के इलाज के लिए प्रदान की जा रही स्वास्थ्य सुविधाओं और वित्तीय सहायता के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। लोगों ने कहा कि टीबी का इलाज काफी लंबा चलता है, जिससे आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ता है, लेकिन केंद्र व प्रदेश सरकार की सहायता से उनका मनोबल बढ़ा है और वे अपना पूरा इलाज करवा रहे हैं।

टी.बी. रोगियों को पोषण व उपचार संबंधी कोई भी दिक्कत नहीं आने दी जाएगी –  मनोहर लाल ने कहा कि टी.बी.लाइलाज बीमारी नहीं है। अगर इसका नियमित रूप से सही अवधि तक उपचार किया जाए, तो यह पूरी तरह से ठीक हो जाती है। लेकिन इसमें इलाज को किसी भी हालत में बीच में नहीं छोड़ना होता। इसके लिए टी.बी. के रोगी को अधिक पोषक आहार की जरूरत होती है और जिन परिवारों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, वे रोगी को पोषक आहार नहीं दे पाते। मुख्यमंत्री ने सभी टी.बी. रोगियों को विश्वास दिलाया कि उनको पोषण व उपचार संबंधी कोई भी दिक्कत नहीं आने दी जाएगी। इस दिशा में हम विभिन्न संस्थाओं और समाजसेवकों की मदद भी ले रहे हैं।

 मनोहर लाल ने राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू का आभारी व्यक्त करते हुए कहा कि राष्ट्रपति ने टी.बी. के रोगियों के पोषण के लिए सितम्बर, 2022 में निक्षय योजना का शुभारम्भ किया था। उन्होंने विभिन्न संस्थाओं एवं कॉर्पोरेट्स को टी.बी. रोगियों का पोषण करने के लिए उन्हें गोद लेने का आह्वान किया था। हरियाणा में भी इस योजना का शुभारम्भ 15 सितम्बर, 2022 को किया गया। इसके तहत राज्यपाल, स्वास्थ्य मंत्री और गणमान्य नागरिकों द्वारा टी.बी. के रोगियों को गोद लेकर उन्हें पोषण किट्स दी जा रही हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्होंने भी इस योजना के तहत टी.बी. के पांच रोगियों को गोद लिया है।

निक्षय योजना के अंतर्गत राज्य में अब तक 8,000 टीबी रोगियों को पोषण किट्स वितरित की जा चुकी है – मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में टी.बी. रोगियों की मदद करने की इच्छुक संस्थाओं , कंपनियों आदि के लिए पोर्टल- https://communitysupport.nikshay.in/ बनाया है । विभिन्न संस्थाएं एवं व्यक्ति विशेष जो भी टी.बी. रोगियों को पोषण सहायता देना चाहता है वह इस पोर्टल पर जाकर स्वयं लॉगिन आई.डी. बनाकर पंजीकृत करवा सकते हैं। इन्हें निक्षय मित्र कहा जाता है। अब तक इस पोर्टल पर ऐसे लगभग 1500 निक्षय मित्र पंजीकृत हैं। निक्षय मित्र द्वारा पंजीकरण के बाद जिला टी.बी. अधिकारी उन्हें उन रोगियों की सूची देते हैं, जिन्हें पोषक आहार की जरूरत है और रोगी को पोषक आहार किट मिल जाती है। निक्षय योजना के अंतर्गत राज्य में अब तक 8,000 रोगियों को पोषण किट्स वितरित की जा चुकी हैं। इन पोषण किट्स में गेहूं , चावल , मूंगफली खाने का तेल एवं दालें इत्यादि शामिल हैं। इस पहल से टी.बी. रोगियों का मनोबल बढ़ा है और उन्हें बीमारी से मुक्त होने में मदद मिली है ।

मुख्यमंत्री ने टीबी रोगियों से अनुरोध किया कि यदि किसी को भी पोषक आहार के लिए मदद की जरूरत है, तो उसके लिए जिला टी.बी. अधिकारी से सम्पर्क करें। उन्होंने कहा कि हमने टी.बी. उपचार की सेवाओं का विस्तार करने के लिए प्राइवेट और कॉर्पोरेट अस्पतालों से सहयोग ले रहे हैं। इस बात की खुशी है कि कई कंपनियों ने इस कार्य में बढ़चढ़ कर सहयोग किया है। विभिन्न कॉर्पोरेट कंपनियों ने 13 जिलों को टी.बी. मुक्त बनाने के लिए गोद लिया है। मेदांता अस्पताल द्वारा यमुनानगर और करनाल में टी.बी. के मरीजों की जांच के लिए मोबाइल वैन द्वारा सघन खोज अभियान चलाया जा रहा है। रेवाड़ी जिले में भी एक कंपनी द्वारा मोबाइल वैन की मदद से टी.बी. के नए रोगियों की जांच की जा रही है, जिसे संकल्प प्रोजेक्ट का नाम दिया गया है ।

टीबी रोगियों को पोषण भत्ता सहित दी जा रही कई प्रकार की सहायता – मुख्यमंत्री ने कहा कि टी.बी. रोगी को इलाज के दौरान हर महीने 500 रुपये पोषण भत्ता भी दिया जा रहा है। अब तक पोषण भत्ते के रूप में लगभग 80 करोड़ रुपये सीधे टी.बी. रोगियों के बैंक खाते में दिए जा चुके हैं। इन्हें मिलाकर राष्ट्रीय टी.बी. उन्मूलन कार्यक्रम की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत टी.बी. रोगियों को अब तक 91 करोड़ 39 लाख रुपये दिए जा चुके हैं।उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय टी.बी. उन्मूलन कार्यक्रम के तहत न केवल टी.बी. का इलाज मुफ्त करने का प्रावधान किया, बल्कि इससे बचाव और निरंतर इलाज कराने के लिए लोगों को जागरूक भी किया।

हरियाणा में टीवी की जांच व इलाज के लिए स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर को किया गया मजबूत – मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा सरकार ने टी.बी. की मुफ्त जांच के लिए 350 कफ जांच केंद्र, 80 मॉलिक्यूलर प्रयोगशालाएं एवं 2 कल्चर प्रयोगशालाएं संचालित की हैं । मुफ्त इलाज के लिए हर ब्लॉक पर टी.बी. यूनिट का निर्माण किया गया है और प्रत्येक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तथा आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर टी.बी. की दवाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं। कोई भी व्यक्ति, जिसे दो सप्ताह तक खांसी हो, वह इन जांच केन्द्रों और स्वास्थ्य केन्द्रों पर जाकर अपनी निःशुल्क जांच करवा सकता है। प्रदेश में वर्ष 2022 में 75,730 टी.बी. रोगियों की पहचान की गयी थी, जिसमें 40,276 रोगी अभी भी उपचाराधीन हैं।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार टी.बी. रोगियों के इलाज में सहयोग देने के लिए आशा वर्कर्स और अन्य कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहन राशि देते हैं। अब तक उन्हें लगभग 8 करोड़ रुपये दिये गये हैं। हमारा लक्ष्य है कि टी.बी. रोगियों को घर के बिल्कुल नजदीक टी.बी. का इलाज मिले, इसलिए हमने टी.बी. के रोगियों की देखभाल के लिए प्राइवेट डॉक्टरों एवं अस्पतालों को भी लगभग 4 करोड़ रुपये दिए हैं। उनके पास भी अपना इलाज मुफ्त करवा सकते हैं। वर्ष 2025 तक टी.बी. के उन्मूलन के लिए जिले एवं ब्लॉक स्तर पर टी.बी. की सेवाओं के निरंतर मूल्यांकन एवं सुधार के लिए टी.बी. फोरम का निर्माण किया गया है। सामाजिक भागीदारी बढ़ाने के लिए ग्राम पंचायतों को भी टी.बी. उन्मूलन गतिविधियों में शामिल किया जा रहा है।

संवाद कार्यक्रम में वर्चुअली जुड़े मेदांता अस्पताल के डॉक्टर नरेश त्रेहान ने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में मेदांता अस्पताल सरकार के साथ जुड़कर हरियाणा को टीबी मुक्त करने के प्रयास में पूरी तरह सहयोग कर रहा है। उन्होंने कहा कि टीबी का इलाज 6 महीने तक चलता है, इसलिए कोई भी रोगी इस इलाज को बीच में न छोड़े और अपना इलाज पूरा करें तभी हरियाणा के साथ-साथ देश को टीबी मुक्त किया जा सकता है।                                    इस अवसर पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ जी अनुपमा, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव तथा सूचना लोक संपर्क भाषा एवं संस्कृति विभाग के महानिदेशक डॉ अमित अग्रवाल और महानिदेशक, स्वास्थ्य सेवाएं डॉ सोनिया त्रिखा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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