नई दिल्ली । महाराष्ट्र में चल रहे विधायकों की अयोग्यता के मामले में सुप्रीम कोर्ट सोमवार यानी 22 जनवरी को सुनवाई करेगा। यह याचिका महाराष्ट्र विधानसभा में स्पीकर राहुल नार्वेकर के उस आदेश के खिलाफ लगाई गई है, जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अन्य विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं को खारिज कर दिया था। अब नार्वेकर के आदेशों को चुनौती देने वाली उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) की याचिका पर 22 जनवरी को सुनवाई करेगा।
याचिका में कहा गया, अयोग्यता का इससे स्पष्ट मामला नहीं हो सकता था। शिंदे ने राज्यपाल से मुलाकात की और 30 जून 2022 को भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। सभी प्रतिवादी विधायकों ने इस निर्णय का समर्थन किया, जो स्वयं स्वेच्छा से हार मानने के समान था।याचिका में कहा गया है कि दसवीं अनुसूची का उद्देश्य उन विधायकों को अयोग्य ठहराना है, जो अपने राजनीतिक दल के खिलाफ काम करते हैं। हालांकि, यदि अधिकांश विधायकों को राजनीतिक दल माना जाता है, तो वास्तविक राजनीतिक दल के सदस्य बहुमत विधायकों की इच्छा के अधीन हो जाते हैं। यह पूरी तरह से असंवैधानिक है। इसे रद्द किया जाना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने बुधवार को वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल के इस मामले में शीघ्र सुनवाई करने की गुहार स्वीकार करते हुए कहा कि इस मामले में वह सोमवार को सुनवाई करेगी।शीर्ष अदालत के समक्ष सिब्बल ने यूबीटी गुट का पक्ष विशेष उल्लेख के दौरान रखा।याचिकाकर्ता यूबीटी गुट के सुनील प्रभु ने विधानसभा अध्यक्ष के 10 जनवरी के फैसले के खिलाफ 15 जनवरी को शीर्ष अदालत में याचिका दायर की। उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि निर्णयों की पूर्ण विकृति इस तथ्य से स्पष्ट है कि अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेते समय अध्यक्ष ने मुख्य निर्विवाद घटना यानी 30 जून 2022 को शपथ ग्रहण पर भी विचार नहीं किया है, जिसने निर्णायक रूप से स्थापित किया कि उनके सभी कार्य (21 जून 2022) का उद्देश्य महाराष्ट्र में अपने ही राजनीतिक दल के नेतृत्व वाली निर्वाचित सरकार को गिराना था।