नई दिल्ली । गुजरात सरकार की माफीनामा पॉलिसी के खिलाफ बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, ताकि उनके दोषियों को फिर से जेल भेजा जा सके। बिलकिस बानो गैंगरेप मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से दोषियों को समय से पहले रिहा करना का कारण पूछा। कोर्ट ने कहा कि आज यह बिलकिस के साथ हुआ, कल किसी के साथ भी हो सकता है। जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है। बेंच ने मंगलवार को सुनवाई में कहा कि जब समाज को बड़े पैमाने पर प्रभावित करने वाले ऐसे जघन्य अपराधों में छूट देने पर विचार किया जाता है, तो सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए शक्ति का प्रयोग किया जाना चाहिए।
केंद्र ने राज्य के फैसले से सहमति जताई है, इसका मतलब यह नहीं है कि राज्य को अपना दिमाग लगाने की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा, अगर सब कुछ कानून के मुताबिक हुआ है तो इसमें छिपाने को क्या है? जस्टिस जोसेफ ने राज्य सरकार से कहा कि अच्छा आचरण होने पर दोषियों को छूट देने को अलग रखना चाहिए। इसके लिए बहुत उच्च पैमाना होना चाहिए। भले ही आपके पास शक्ति हो, लेकिन उसकी वजह भी होनी चाहिए। कोर्ट ने मामले में सरकार से 1 मई तक फाइल पेश कर जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है। कोर्ट में केंद्र और गुजरात सरकार की ओर से एएसजी एसवी राजू पेश हुए।
उन्होंने कहा कि हम सोमवार तक इस बारे में विचार करेंगे कि फाइल दाखिल की जाए या नहीं। मामले में अगली सुनवाई 2 मई को दोपहर 2 बजे होगी। बता दें कि गुजरात सरकार ने मामले के 11 दोषियों को पिछले साल समय से पहले रिहा कर दिया है। सरकार के इस फैसले के खिलाफ बिलकिस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। 28 मार्च को जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने गुजरात सरकार को दोषियों को छूट देने वाली रिलेवेंट फाइलों के साथ तैयार रहने का निर्देश दिया था। इससे पहले दिसंबर 2022 में मामले की सुनवाई करने वाली बेंच से जज बेला माधुर्य त्रिवेदी ने अपना नाम अलग कर लिया था। इसी वजह से सुनवाई टाल दी गई थी।
15 अगस्त को रिहा किए गए थे रेप के दोषी – बानो की वकील शोभा गुप्ता ने नई बेंच बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से कई बार अपील की। नई बेंच बनाने की बार-बार अपील करने पर सीजेआई भड़क गए थे। उन्होंने कहा था कि मामले में जल्द सुनवाई नहीं होगी, परेशान न करें। इसके बाद 22 मार्च को कोर्ट ने बताया कि नई बेंच सुनवाई के लिए तैयार है। दरअसल, 2002 के गोधरा कांड के दौरान बिलकिस बानो से रेप और उसके परिवार के लोगों की हत्या के दोषियों को पिछले साल 15 अगस्त को समय से पहले रिहा कर दिया गया था। इसी के खिलाफ बानो ने 30 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। बिलकिस बानो ने 30 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की थीं।
पहली याचिका में 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देते हुए उन्हें तुरंत वापस जेल भेजने की मांग की थी। वहीं, दूसरी याचिका में कोर्ट के मई में दिए आदेश पर फिर से विचार करने की मांग की थी, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि दोषियों की रिहाई पर फैसला गुजरात सरकार करेगी। इस पर बिलकिस ने कहा कि जब केस का ट्रायल महाराष्ट्र में चला था फिर गुजरात सरकार फैसला कैसे ले सकती है?