श्रीहरिकोटा। इसरों ने शुक्रवार सुबह 9:17 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से एसएसएलवी-डी3 रॉकेट की लॉन्चिंग की। इस रॉकेट में नया अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट ईओएस-8 लॉन्च किया गया है और एक छोटा सैटेलाइट एसआर-0 डेमोसेट भी पैसेंजर सैटेलाइट की तरह छोड़ा गया है। दोनों ही सैटेलाइट्स धरती से 475 किमी की ऊंचाई पर एक गोलाकार ऑर्बिट में तैनात किए हैं।
लॉन्चिंग के बाद इसरो प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ ने कहा सैटेलाइट सही जगह पर पहुंच गया है। हम कह सकते हैं कि एसएसएलवी रॉकेट की तीसरी डिमॉन्सट्रेशन उड़ान सफल रही। अब हम इस रॉकेट की टेक्निकल जानकारी इडंस्ट्री को शेयर करेंगे ताकि ज्यादा से ज्यादा मात्रा में रॉकेट्स बन सके। छोटे सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग ज्यादा हो सके।
एसएसएलवी यानी स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल और डी3 मतलब तीसरी डिमॉनस्ट्रेशन फ्लाइट। इस रॉकेट का इस्तेमाल मिनी, माइक्रो और नैनो सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग के लिए किया जाएगा। इससे धरती की निचली कक्षा में 500 किग्रा तक के सैटेलाइट्स को 500 किमी से नीचे या फिर 300 किग्रा के सैटेलाइट्स को सन सिंक्रोनस ऑर्बिट में भेज सकते हैं। इस ऑर्बिट की ऊंचाई 500 किमी के ऊपर होती है।
इस लॉन्चिंग में 475 किती की ऊंचाई तक जाएगा। वहां जाकर यह सैटेलाइट को छोड़ देगा। एसएसएलवी रॉकेट की लंबाई 34 मीटर है। इसका व्यास दो मीटर है। एसएसएलवी का वजन 120 टन है। एसएसएलवी दस से 500 किग्रा के पेलोड्स को 500 किमी तक पहुंचा सकता है। एसएसएलवी सिर्फ 72 घंटे में तैयार हो जाता है। अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट यानी ईओएस-8 पर्यावरण की मॉनिटरिंग, आपदा प्रबंधन और तकनीकी डेमॉन्स्ट्रेशन का काम करेगा। 175.5 किग्रा वजनी इस सैटेलाइट में तीन स्टेट-ऑफ-द-आर्ट पेलोड लगे हैं-इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इंफ्रारेड पेलोड (ईओआईआर), ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम रिफ्लेक्टोमेट्री पेलोड (जीएनएसएस-आर) और सिक यूवी डोजीमीटर (सिक यूवी डोसिमीटर) इसमें ईओआईआर दिन-रात में मिड और लॉन्ग वेव की इंफ्रारेड तस्वीरें लेगा।