नई दिल्ली । कुछ साल पहले तक गिद्धों की संख्या खतरनाक रूप से घट रही थी, लेकिन अब उनके पुनरुत्थान के स्पष्ट संकेत दिखाई दे रहे हैं। दुधवा टाइगर रिजर्व में पहली बार गिद्धों की सात प्रजातियां देखी गई हैं, जो संरक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण संकेत है। भारत में गिद्धों की केवल नौ प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से सात प्रजातियों का एक साथ दुधवा नेशनल पार्क में देखा जाना एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। दुधवा नेशनल पार्क के उपनिदेशक के अनुसार, बायोलॉजिस्टों की टीम ने गिद्धों की संख्या का आकलन किया, जिसमें पाया गया कि दुधवा में लगभग 200 गिद्ध हैं।
इससे पहले इतने सारे गिद्धों की विभिन्न प्रजातियों का एक साथ दुधवा में देखा जाना संभव नहीं था। इन गिद्धों के आंकड़ों को दुधवा के रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है। सर्वेक्षण के दौरान जिन प्रजातियों के गिद्ध देखे गए, उनमें इंडियन वल्चर, व्हाइट रम्प्ड वल्चर, स्लेंडर बिल्ड वल्चर, हिमालयन वल्चर, सिनेरियस वल्चर, यूरेशियन ग्रिफॉन और रेड हेडेड वल्चर शामिल हैं। दुधवा नेशनल पार्क और किशनपुर सेंक्चुरी में किए गए सर्वे में करीब 200 गिद्धों की गिनती की गई है, जो इस क्षेत्र के पर्यावरण के पुनरुद्धार का प्रमाण है।
अगर आप दुधवा नेशनल पार्क घूमने की योजना बना रहे हैं, तो यहां गिद्धों के अलावा कई अन्य दुर्लभ वन्यजीवों को भी देखा जा सकता है। यह पार्क न केवल टाइगर्स के लिए बल्कि उन वन्यजीवों के लिए भी महत्वपूर्ण है जो अन्य स्थानों पर विलुप्त हो चुके हैं। दुधवा टाइगर रिजर्व में रेड जोन में शामिल इन विलुप्तप्राय प्रजातियों की वापसी संरक्षण की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।धीरे-धीरे विलुप्त हो रहे गिद्ध अब फिर से उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में देखे जा रहे हैं। दुधवा के बफर जोन में ये सात प्रकार की गिद्ध प्रजातियाँ पाई गई हैं।