नई दिल्ली। इन दिनों मंकी पॉक्स का खतरा पूरी दुनिया में मंडरा रहा है। कई देशों में फैल चुका मंकी पॉक्स को डब्ल्यूएचओ ने सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया है। इस वायरस का नया स्ट्रेन (क्लैड-1) ज्यादा संक्रामक है और इसकी मृत्यु दर भी ज्यादा है। इस बीमारी से निपटने के लिए भारत ने अपनी स्वदेशी आरटी-पीसीआर परीक्षण किट तैयार की है। इसे केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) द्वारा अनुमोदित किया है। सीमेंस हेल्थिनियर्स द्वारा आईएमडीएक्स मंकीपॉक्स डिटेक्शन आरटी-पीसीआर परख को सीडीएससीओ से विनिर्माण की मंजूरी मिल गई है। यह मेक इन इंडिया पहल के लिए एक अहम उपलब्धि है।
आईएमडीएक्स मंकीपॉक्स डिटेक्शन आरटी-पीसीआर परख का निर्माण वडोदरा में आणविक निदान विनिर्माण इकाई में किया जाएगा, जिसकी हर साल एक मिलियन प्रतिक्रियाओं की विनिर्माण क्षमता है। फैक्ट्री किट उपलब्ध कराने के लिए तैयार है। आईएमडीएक्स मंकीपॉक्स डिटेक्शन आरटी-पीसीआर परख एक अभूतपूर्व आणविक निदान परीक्षण है जो वायरल जीनोम में दो अलग-अलग क्षेत्रों को लक्षित करता है, जो वायरस के क्लेड-I और क्लेड-II दोनों प्रकारों में फैला है। यह कई वायरल उपभेदों में गहन पहचान सुनिश्चित करता है, जिससे व्यापक परिणाम मिलते हैं।
सीमेंस हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक हरिहरन सुब्रमण्यन ने कहा कि सटीक और सटीक निदान की जरुरत ज्यादा अहम हो गई है। उन्होंने कहा कि भारत को मंकीपॉक्स से निपटने के लिए विशेष रूप से तैयार किए उन्नत परख किट उपलब्ध कराकर, हम इससे लड़ने में सक्रिय रुख अपना रहे हैं और त्वरित और सटीक पहचान को प्राथमिकता दे रहे हैं, जो वास्तव में जीवन बचाने में अहम भूमिका निभा सकता है। ये किट देखभाल तक पहुंच में सुधार लाने पर हमारे फोकस का प्रमाण हैं और ये परख किट उस लक्ष्य की दिशा में एक अहम कदम है।