बेंगलुरु । चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर लैंडिंग के बाद से रोवर प्रज्ञान और लैंडर विक्रम रोज ही बेहद अहम जानकारियां धरती पर भेज रहा है। इसी बीच चंद्रयान 3 मिशन के प्रज्ञान रोवर ने 30 अगस्त को विक्रम लैंडर से एक तस्वीर खींची है। इस तस्वीर को रोवर पर नेविगेशन कैमरा से लिया गया है। इसरो लगातार चंद्रयान 3 की लैंडिंग के बाद रोवर और विक्रम द्वारा इकट्ठा की जा रही जानकारी को साझा कर रहा है। इसी बीच लगातार काम कर रहा रोवर प्रज्ञान ने साफ कर दिया है कि चांद की सतह पर सल्फर की उपस्थिति की पुष्टि की है।
रोवर पर लगे अन्य उपकरण ने साउथ पोल पर सल्फर की मौजूदगी को दर्ज की है। इस संबंध में इसरो ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोप ने सल्फर, साथ ही अन्य छोटे तत्वों का पता लगाया है। सीएच-3 की यह खोज वैज्ञानिकों को क्षेत्र में सल्फर के स्रोत के लिए नए स्पष्टीकरण विकसित करने के लिए मजबूर करती है: क्या यह आंतरिक रूप से मौजूद है, ज्वालामुखीय है या उल्कापिंड जनित है।
बता दें कि इसरो के वैज्ञानिकों को उम्मीद नहीं थी कि चंद्रमा की धरती पर सल्फर मिलेगा। रोवर प्रज्ञान पर लगे दो उपकरों ने सल्फर की मौजूदगी की जानकारी दी है। सल्फर के अलावा चंद्रमा की सतह पर एल्युमिनियम, सिलिकॉन, कैल्शियम, आयरन की अपेक्षा थी, जो चंद्रमा की सतह पर मिले है। अब चंद्रयान 3 के जरिए ये खोजने की कोशिश की जा रही है कि चंद्रमा पर चट्टाने किससे बनी है। उच्च भूमि क्षेत्रों से कैसे ये अलग है? प्रज्ञान रोवर अपने वैज्ञानिक उपकरणों के साथ उत्तर खोजने की कोशिश की है।
इसरो ने कहा कि एपीएक्सएस उपकरण चंद्रमा जैसे कम वायुमंडल वाले ग्रहीय पिंडों की सतह पर मिट्टी और चट्टानों की मौलिक संरचना के वास्तविक विश्लेषण के लिए सबसे उपयुक्त हैं। इसमें रेडियोधर्मी स्रोत होते हैं, जो सतह के नमूने पर अल्फा कण और एक्स-रे उत्सर्जित करते हैं। नमूने में मौजूद परमाणु बदले में मौजूद तत्वों के अनुरूप विशिष्ट करते हैं। इन विशिष्ट एक्स-रे की ऊर्जा और तीव्रता को मापकर, अनुसंधानकर्ता मौजूद तत्वों और उनकी प्रचुरता का पता लगा सकते हैं। एपीएक्सएस के अवलोकनों ने एल्युमीनियम, सिलिकॉन, कैल्शियम और लौह जैसे प्रमुख अपेक्षित तत्वों के अलावा, गंधक समेत दिलचस्प छोटे तत्वों की मौजूदगी की खोज की है। रोवर पर लगा ‘लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप’ (एलआईबीएस) उपकरण पहले ही गंधक की मौजूदगी की पुष्टि कर चुका है। इन अवलोकनों का विस्तृत वैज्ञानिक विश्लेषण प्रगति पर है।