HomePunjabबासमती के निर्यात पर लगाई पाबंदियाँ तुरंत वापस ली जाएँ - CM...

बासमती के निर्यात पर लगाई पाबंदियाँ तुरंत वापस ली जाएँ – CM मान ने केंद्र सरकार से की माँग

लुधियाना :  केंद्र सरकार द्वारा बासमती के निर्यात पर लगाई पाबंदियों को पंजाब और किसान विरोधी कदम बताते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने केंद्र से इस मनमाने फ़ैसले को तुरंत वापस लेने की माँग की है। आज यहाँ पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी में दो दिवसीय किसान मेले के आखिरी दिन मेले में पहुँचे बड़ी संख्या में किसानों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने दुख के साथ कहा कि केंद्र सरकार का यह बेतुका फ़ैसला किसानों के साथ-साथ व्यापारियों को आर्थिक तौर पर बड़ा नुकसान पहुंचाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र ने बासमती चावलों का कम से कम निर्यात मूल्य 1200 डॉलर प्रति टन तय कर दिया है, जिससे बासमती की घरेलू कीमतों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मेहनतकश किसान खेती लागतें बढऩे और कम भाव मिलने के कारण पहले ही संकट में डूबे हुए हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि देश में बासमती का सबसे अधिक उत्पादन पंजाब में होता है और केंद्र सरकार का यह फ़ैसला हमारे किसानों के हितों को बुरी तरह से प्रभावित करेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब सरकार राज्य में फ़सलीय विविधता के अंतर्गत मूँग की दाल, बासमती और अन्य वैकल्पिक फसलों को प्रोत्साहित करने के लिए बड़े प्रयास कर रही है, परन्तु दूसरी ओर केंद्र की ऐसी नीतियों से हमारी मुहिम को चोट पहुँच रही है।मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार का यह कदम किसान विरोधी और पंजाब विरोधी बताया है, जिसका राज्य सरकार द्वारा ज़ोरदार विरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार केंद्रीय पाबंदियों के मद्देनजऱ बासमती चावल पश्चिमी बंगाल, केरला जैसे राज्यों को बेचने पर भी गौर कर रही है।

भगवंत सिंह मान ने कहा, ‘‘यह कितनी दुख की बात है कि देश के अन्न भंडार को पूरी तरह से भरने वाले पंजाब के किसानों पर पाबंदियाँ थोपी जा रही हैं, जिसको किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।’’ केंद्र सरकार के एक और पंजाब विरोधी फ़ैसले का जि़क्र करते हुए मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार ने राज्य का ग्रामीण विकास फंड का 3622 करोड़ रुपए का फंड रोका हुआ है। उन्होंने कहा कि राज्य की पिछली सरकारों ने इस फंड का दुरुपयोग किया था, जिसका नुकसान अब ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि यदि केंद्र सरकार आर.डी.एफ. का यह फंड जारी कर देता है तो राज्य के ग्रामीण क्षेत्र की 67000 किलोमीटर लिंक सडक़ें और अन्य बुनियादी ढांचे की कायाकल्प कर दी जायेगी।

धान की पराली जलाने की समस्या के बारे मेमं मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने केंद्र सरकार को सुझाव दिया था कि किसानों को पराली के निपटारे के लिए 2500 रुपए प्रति एकड़ की आर्थिक सहायता दी जाये, जिसमें 1500 रुपए केंद्र और 1000 रुपए राज्य सरकार अदा करेगी, परन्तु केंद्र सरकार ने इस सुझाव के साथ सहमति प्रकट करने की बजाय इसको रद्द कर दिया।भूजल के गिर रहे स्तर पर चिंता ज़ाहिर करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने टेलों पर नहरी पानी पहुँचाने के लिए नाले, नेहरों को फिर सुरजीत करने के लिए व्यापक स्तर पर मुहिम शुरु की हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा भूमिगत पाईपें डालने के प्रोजैक्ट को तेज़ी से लागू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पहली बार यह हुआ है कि इस बार फाजिल्का, मानसा इलाके में टेलों पर नहरी पानी पहुँचाया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मौजूदा समय में कृषि सिंचाई के लिए 33 से 34 प्रतिशत नहरी पानी का प्रयोग किया जा रहा है और अगले साल तक 70 प्रतिशत का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिससे भूजल बचाकर आने वाली पीढिय़ों का भविष्य सुरक्षित बना सकें। रिश्वतख़ोरी को सभी बीमारियों की जड़ बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार मुक्त, पारदर्शी और साफ़-सुथरा प्रशासन देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार को ख़त्म करने के लिए बड़े फ़ैसले लिए गए हैं। ज़मीन-जायदाद की रजिस्ट्री भी सरल पंजाबी में होने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, जिससे साधारण मनुष्य भी दस्तावेज़ों को पढ़ सकें।

किसान मेले में नौजवानों की बड़ी संख्या में आमद पर संतुष्टी ज़ाहिर करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब के लिए यह शुभ संकेत है कि नौजवान अब खेती के लिए नये तरीके अपनाने में रुचि दिखाने लगे हैं। उन्होंने बताया कि किसान मेले के पहले दिन 1.09 लाख किसान शामिल हुए जो अपने आप में रिकॉर्ड है। उन्होंने कहा कि अब रिवायती खेती की बजाय वैज्ञानिक ढंग से खेती करने का युग आ चुका है, जिस कारण नौजवान किसानों को आधुनिक खेती की तरफ मुडऩा चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि खेती में मेहनत करने के साथ-साथ तकनीक भी बहुत महत्व रखती है, जिससे फसलों की अच्छी उपज ली जा सके।

पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी को किसानों के लिए प्रकाश-स्तम्भ बताते हुए भगवंत सिंह मान ने कहा कि कृषि क्षेत्र में इस यूनिवर्सिटी ने किसानों को हमेशा ही रचनात्मक मार्गदर्शन दिया है, जिस कारण पंजाब ने अनाज उत्पादन में देश में अग्रणी स्थान हासिल किया है। इसी यूनिवर्सिटी ने ही देश में हरित क्रांति का युग लाया। भगवंत सिंह मान ने कहा कि पंजाबियों को खेती और सहायक धंधों में इस यूनिवर्सिटी के बेमिसाल योगदान पर बहुत गर्व है। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कृषि क्षेत्र में नए उद्यमों के साथ अनूठी उपलब्धियाँ हासिल करने के लिए प्रगतिशील किसानों को भी सम्मानित किया।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments