नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आम आदमी पार्टी (आप) से निलंबित सांसद राघव चड्ढा को राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ से मिलकर सदन में अपने कथित कदाचार के लिए बिना शर्त माफी मांगने को कहा। चड्ढा को इस साल अगस्त में पांच राज्यसभा सांसदों का चयन समिति में नाम शामिल करने से पहले उनकी सहमति नहीं लेने के आरोप में निलंबित कर दिया गया था। सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि आप नेता द्वारा मांगी गई माफी पर राज्यसभा सभापति सहानुभूतिपूर्वक विचार कर सकते हैं। पीठ ने चड्ढा के वकील द्वारा दिए गए बयान को दर्ज किया कि निलंबित आप सांसद उपराष्ट्रपति धनखड़ से यह बताने के लिए मिलने का समय मांगने वाले हैं, कि उनका संसद के उच्च सदन की गरिमा को प्रभावित करने का कोई इरादा नहीं था।
चड्ढा की ओर से पेश वकील शादान फरासत ने कहा कि उनका मुवक्किल राज्यसभा का सबसे कम उम्र का सदस्य है और वह नए सिरे से बिना शर्त माफी मांगने में संकोच नहीं करेगा। चड्ढा ने राज्यसभा से अपने निलंबन को चुनौती देकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।सोमवार को, शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की थी कि किसी सांसद को निलंबित करने से उसके द्वारा प्रतिनिधित्व किये जा रहे मतदाताओं के अधिकार पर गंभीर असर पड़ता है।सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि चड्ढा के खिलाफ लगाए गए आरोपों में उन सदस्यों के फर्जी हस्ताक्षर शामिल नहीं हैं, जिन्होंने संसदीय पैनल में अपना नाम शामिल करने के लिए सहमति नहीं दी थी।चड्ढा ने शीर्ष अदालत के समक्ष दलील दी थी कि राज्यसभा के सभापति जांच लंबित रहने तक सदन के किसी सदस्य को निलंबित करने का आदेश नहीं दे सकते, खासकर तब, जब विशेषाधिकार समिति पहले से ही उसी मुद्दे पर जांच कर रही हो।