Lifestyle : प्रतिस्पर्धा के इस दौर में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते समय कई बातों का ध्यान रखना जरुरी होता है। अगर आप इन बातों का ध्यान रखेंगे तो सफलता मिलने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। प्रतियोगी परीक्षाएं चाहे वे एसएससी की हों, रेलवे की, सिविल सर्विसेस की या फिर बैकिंग की, परीक्षा भवन में ही आपको यह निर्णय लेना होता है कि कौन-सा सवाल छोड़ कर आगे बढ़ना है और किसे हल करना।
कैसे पहचानें – मान लें कि आप गणित के सवालों को हल कर रहे हैं। आपके सामने कोई आराम से बनने वाला सवाल है लेकिन उसमें कैलकुलेशन काफी करना होगा। यानी वह टाइम ज्यादा लगाएगा। आपने पहले अभ्यास तो किया होगा। ऐसे में आपको यह अंदाजा लग जाएगा कि यह सवाल बन तो जाएगा लेकिन काफी वक्त लगा देगा। जब भी ऐसी स्थिति बने आपको सवाल छोड़कर आगे बढ़ जाना चाहिए। सभी सवालों पर निगाह डालने के बाद आखिर जब आपके पास वक्त हो, आप आखिर में उस सवाल को हल करने की कोशिश करें।
कब बनाएं ज्यादा वक्त लगने वाले सवाल – परीक्षा भवन में कभी-कभी ऐसा भी हो सकता है कि आपको 10 सवाल ऐसे लग जाएं कि वे वक्त ज्यादा लगा सकते हैं। इसका सीधा सा मतलब है कि आपने अभ्यास सही ढंग से नहीं किया और कम समय में हल करने का ट्रिक भी आप भूल गए हैं। ऐसे में आप उन सवालों को हल करने की कोशिश कर सकते हैं।
कैसे करें तैयारी – ज्यादातर विशेषज्ञों का कहना है कि सेट प्रैक्टिस से बेहतर कोई दूसरा विकल्प नहीं हो सकता। जानकार कहते हैं कि छात्रों के लिए यह जरूरी है कि वह सेट प्रैक्टिस करे। खासकर पिछले सालों में पूछे हुए प्रश्नों को जरूर बनाएं। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आपका कॉन्सेप्ट जरूर क्लियर हो।
स्पीड जरूरी – बैंकिंग परीक्षा को उत्तीर्ण करने के लिए सबसे अधिक जरूरी है कि आपकी गति बेहतर हो। इसके लिए यह जरूरी है कि आप अगर सेट प्रैक्टिस में 2 घंटा लगाते हैं तो सॉल्यूशन देखने में 4 घंटा लगाएं। ताकि अपनी कमियों को दूर करें। ट्रिक्स और शॉर्ट कट्स पर जरूर फोकस करें। उन्हें याद करने की कोशिश करें। साथ ही सवालों के पैटर्न को भी जरूर देखें।
कोचिंग कितना फायदेमंद – बैंकिंग की तैयारी के लिए कोचिंग फायदेमंद जरूर होता है, पर इसके लिए यह जरूरी है कि आपकी खुद की तैयारी अच्छी हो। ताकि जब कोचिंग में जाएं तो फायदा हो। अपनी तैयारी नहीं होने से क्लासरूम में आप कई बातों को समझ नहीं पाएंगे और कोचिंग की गति से चल नहीं पाएंगे। आपका वक्त और पैसा दोनों जाया जा सकता है। वैसे यह ध्यान रहे कि कई बच्चे बगैर कोचिंग के भी रिजल्ट देते हैं।
ऑनलाइन सेट प्रैक्टिस – आजकल बैंकिंग समेत कई परीक्षाओं के टेस्ट ऑनलाइन हो गए हैं, इसलिए कंप्यूटर पर सही ढंग से सेट बनाना, खासकर ऑनलाइन सेट प्रैक्टिस आपको एग्जामिनेशन हॉल में सुरक्षित करता है, आपमें विश्वास भी जगता है कि आप इसे क्वालिफाई कर सकते हैं। वैसे तो कई ऑनलाइन वेबसाइट्स हैं जो बैंक पीओ की तैयारी करवा रहें हैं।
एग्जाम हॉल में प्रदर्शन सुधारें – पूरे सालभर की परीक्षा का निर्धारण बस दो घंटा में हो जाता है। यानी उन एक या 2 घंटों में जिसने अपना बेस्ट दिया वह इंटरव्यू और जीडी के रूम तक पहुंच जाता है पर इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। परीक्षा हॉल में पहले उस सेक्शन को बनाएं जिसमें कम वक्त लगता हो और गलती होने की गुंजाइश कम से कम रहती है। जीएस, कंप्यूटर ऐसे ही सेक्शन हैं। इसके बाद ही इंग्लिश, मैथ्स, रीजनिंग आदि को हल करना चाहिए।
सवाल बनाते समय आपको को यह पता होना चाहिए कि किस सवाल में कितना वक्त लगेगा क्योंकि दिए हुए समय में ही आपको सभी सवालों के जवाब देने हैं पर यह भी सच है कि शायद ही कोई स्टूडेंट हो जिसने सभी क्वेश्चन को सॉल्व किया हो। इसलिए आपके लिए क्वेश्चन सॉल्व करना जितना अहम है, उतना ही जरूरी टाइम टेकिंग क्वेश्चन को छोड़ना। तभी आप कम समय में अधिक सवाल बना पाएंगे।
बुक्स – वैसे तो मार्केट में कई पुस्तकें तैयारी के लिए उपलब्ध हैं, कोचिंग के प्रैक्टिस सेट्स भी हैं। पर आपके लिए सबसे अहम है पिछले सालों के प्रैक्टिस सेट को बनाना। साथ ही कुछ बेसिक और ट्रिकी सवालों के बुक भी जरूर पढें।