नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यानी रविवार को नए संसद भवन का उद्घाटन कर लोकार्पित किया। भारत के नए संसद भवन का उद्घाटन वैदिक विधि-विधान के साथ शुभारंभ हुआ। इस राष्ट्रीय गौरव अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विधि-विधान से पूजा की और हवन का अनुष्ठान करने के बाद सेंगोल की भी पूजा-अर्चना की। प्रधानमंत्री मोदी ने राजदंड सेंगोल को साष्टांग प्रणाम किया और वहां मौजूद साधु-संतों से आशीर्वाद लिया। इन औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने नए संसद भवन के लोकसभा हाल में स्पीकर की कुर्सी के पास सेंगोल को स्थापित किया।
उल्लेखनीय है कि वैदिक विधि-विधान से हवन और पूजा के साथ नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह की शुरुआत हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला ने राष्ट्र के इस पावन अवसर पर पूजा की। पूरा वातावरण वैदिक मंत्रोच्चारण से गूंजायमान हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धोती-कुर्ता में नजर आ रहे हैं। करीब 971 करोड़ रुपए की लागत से तैयार नया संसद भवन भारत की प्रगति का प्रतीक है और सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना का हिस्सा है। नया संसद भवन त्रिभुजकार में निर्मित किया गया है। पीएम मोदी ने रविवार को नये संसद भवन के उद्घाटन की पूर्व संध्या पर यहां अपने आवास पर तमिलनाडु के अधीनम यानी पुजारियों से ‘सेंगोल’ प्राप्त किया था।
गत शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस पर जबदस्त निशाना साधा और कहा कि 1947 में अंग्रेजों से सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक ‘सेंगोल’ (राजदंड) को आजादी के बाद उचित सम्मान मिलना चाहिए था, लेकिन इसे प्रयागराज के आनंद भवन में ‘छड़ी’ के रूप में प्रदर्शित किया गया। पीएम मोदी ने ‘आपकी सेवक’ और हमारी सरकार ‘सेंगोल’ को प्रयागराज के आनंद भवन से निकालकर ले आई है। उन्होंने कहा कि 1947 में अंग्रेजों से सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक को लेकर सवाल खड़ा हुआ था और सी राजगोपालाचारी और अधीनम के मार्गदर्शन में ‘सेंगोल’ के माध्यम से प्राचीन तमिल संस्कृति से सत्ता हस्तांतरण का पवित्र जरिया खोजा गया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर 1947 में तिरूवदुतुरई के अधीनम ने विशेष ‘सेंगोल’ बनाया था। उन्होंने कहा कि आज उस दौर की तस्वीरें हमें तमिल संस्कृति और आधुनिक लोकतंत्र के रूप में भारत की नियति के बीच गहरे भावनात्मक बंधन की याद दिला रही हैं। आज इतिहास के पन्नों से इस गहरे बंधन की गाथा जीवंत हो उठी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें यह भी पता चला कि इस पवित्र प्रतीक के साथ कैसा व्यवहार किया गया।