नई दिल्ली । हाल के दिनों में, भारतीय नागरिकों को धोखाधड़ी वाले कई कॉल मिल रहे हैं, जो अक्सर भारतीय मोबाइल नंबरों की तरह दिखाते हैं। ये कॉल वास्तव में विदेशी साइबर अपराधियों द्वारा किए जा रहे हैं, जो कॉल की वास्तविक उत्पत्ति को छिपाने के लिए कॉलिंग लाइन आइडेंटिटी (सीएलआई) का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप मोबाइल नंबरों के डिस्कनेक्ट होने, फर्जी डिजिटल गिरफ्तारी की धमकियों जैसे घटनाएं बढ़ गई हैं। अब दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) के साथ मिलकर एक उन्नत प्रणाली का शुभारंभ किया है।
यह प्रणाली अंतरराष्ट्रीय नकली कॉलों की पहचान करने और उन्हें भारतीय दूरसंचार ग्राहकों तक पहुंचने से पहले ब्लॉक करने के लिए तैयार की गई है। इस प्रणाली को दो चरणों में लागू किया जा रहा है। पहले चरण में टीएसपी स्तर पर अपने ग्राहकों के फोन नंबरों से नकली कॉल को रोकने का प्रयास करेगी, जबकि दूसरे चरण में अन्य टीएसपी से ग्राहकों के नंबरों से आने वाले नकली कॉल को केंद्रीय स्तर पर रोका जाएगा। अब तक, सभी चार प्रमुख टीएसपी ने प्रणाली को सफलतापूर्वक लागू कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, कुल 4.5 मिलियन स्पूफ कॉल में से करीब एक तिहाई को भारतीय दूरसंचार नेटवर्क में आने से रोका गया है।
अगले चरण में एक केंद्रीकृत प्रणाली को शामिल किया जाएगा, जिससे शेष स्पूफ कॉल को समाप्त किया जा सकेगा, और इस जल्द ही चालू करने की योजना है। हालांकि, धोखेबाज लगातार नए तरीकों का विकास कर रहे हैं, जिससे नागरिकों को धोखा देने की कोशिशें जारी हैं। दूरसंचार विभाग इन नए तरीकों की रिपोर्ट होने पर त्वरित कार्रवाई कर रहा है। तेजी से विकसित हो रही तकनीक के इस दौर में, विभाग ने दूरसंचार पारिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षित और संरक्षित बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इन मजबूत सुरक्षा उपायों के बावजूद, ऐसे मामले हो सकते हैं जहां धोखेबाज दूसरे तरीकों से सफल हो जाते हैं।