नई दिल्ली/पटना । एनआईए ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए पीएफआई की संदिग्ध गतिविधियों के मद्देनजर देशभर में छापामार कार्रवाई की है। जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने बुधवार को बिहार के फुलवारी शरीफ में प्रतिबंधित इस्लामिक संगठन पीएफआई के एक संदिग्ध मॉड्यूल के खिलाफ अपनी जांच के तहत देशभर में 25 जगहों पर छापेमारी की है । जहां बिहार, केरल और कर्नाटक में पीएफआई के जमीनी कार्यकर्ताओं के यहां छापेमारी की कार्रवाई को अंजाम दिया जा रहा है। वहीं पीएफआई से जुड़े केस में एनआईए की कर्नाटक में 16 जगहों पर छापेमारी जारी है, जिसमें दक्षिण कन्नड़ के कुछ जिले शामिल हैं।
वहीं, बिहार के कटिहार में हसनगंज थाना क्षेत्र के युसूफ टोला में पीएफआई नेता मोहम्मद नदवी के रिश्तेदार के यहां एनआईए की टीम पहुंची है। यहां एनआईए टीम पहले भी छापेमारी कर चुकी हैं। गौरतलब है कि हाल ही में, इस केस को लेकर छह लोगों को गिरफ्तार किया गया था और तलाशी के दौरान इनके पास पीएफआई से संबंधित कई आपत्तिजनक लेख और दस्तावेज जब्त किए गए थे।यहं मामला पिछले साल 12 जुलाई को बिहार में पटना जिले के फुलवारीशरीफ पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था और पिछले साल 22 जुलाई को एनआईए द्वारा फिर से इस केस पंजीकृत किया गया था।
अभी तक की एनआईए तफ्तीश के मुताबिक फुलवारी शरीफ मामला पीएफआई से जुड़े आरोपियों, संदिग्ध व्यक्तियों की गैरकानूनी व देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता से जुड़ा है, जो पटना के फुलवारी शरीफ इलाके में इकट्ठा हुए थे। इस साल 4-5 फरवरी को, एनआईए ने बिहार के मोतिहारी में आठ स्थानों पर भी तलाशी ली थी और दो लोगों को गिरफ्तार किया था, जिन्होंने हत्या को अंजाम देने के लिए हथियार और गोला-बारूद की व्यवस्था की थी।
एनआईए ने गिरफ्तार लोगों की पहचान तनवीर रजा उर्फ बरकती और मोहम्मद आबिद उर्फ आर्यन के रूप में की है । हालांकि उस समय एक लक्ष्य को अंजाम देने के लिए पहले ही रेकी की जा चुकी थी और हथियार एवं गोला-बारूद पीएफआई ट्रेनर याकूब को सौंप दिए गए थे, जो पीएफआई कैडरों के लिए ट्रेनिंग सेशन चला रहे थे। एजेंसी के अनुसार कुछ दिन पहले पीएफआई के ट्रेनर याकूब ने एक भड़काऊ वीडियो फेसबुक पर पोस्ट किया था, जिसका उद्देश्य शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ना था। एनआईए ने कहा था, ‘फेसबुक के अन्य यूजर्स ने इस पोस्ट पर टिप्पणी की थी और इसे अपमानजनक रूप से ट्रोल किया था। फरार आरोपी याकूब और दो गिरफ्तार आरोपियों ने उनमें से कुछ की पहचान की थी और उनकी हत्या को अंजाम देने की साजिश रची थी।’
तब एनआईए ने अपने बयान में कहा था कि एक पीएफआई मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया गया है, जो सांप्रदायिक सद्भाव को बाधित करने के लिए साजिश रच रहा था। गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सितंबर 2022 में एक अधिसूचना के माध्यम से आतंकवादी समूहों और विध्वंसक गतिविधियों से जुड़े होने के कारण पीएफआई और उसके सहयोगियों पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था। केंद्र ने अधिसूचना में कहा था कि प्रतिबंध की सिफारिश उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात की राज्य सरकारों ने की थी।