नई दिल्ली । बारिश के इस मौसम में त्वचा से संबंधित फोड़े, फुंसी , फंगल इन्फेक्शन, खुजली इत्यादि चर्म रोग प्रभावी हो जाते हैं। ऐसे समय में हर कोई अपनी स्क्रीन को सुरक्षित रखने का तरकीब खोजता है। त्वचा के लिए नीम का पेड़ किसी वरदान से काम नहीं है। यह न केवल फोड़े फुंसी घाव को भरने में सहायता प्रदान करता है, बल्कि स्किन को भी सुंदर बनाता है। नीम के पेड़ की जड़ से लेकर पत्तियां, फल, फूल, बीज, छाल और लकड़ी सभी औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। इसे संजीवनी बूटी कहें, तो कोई गलत नहीं होगा। चर्म रोग के लिए तो यह एकदम रामबाण है।
नीम के पत्ते सहित इसका सभी भाग विशेष रूप से त्वचा से संबंधित अनेकों रोगों में रामबाण साबित होता है। इसके अलावा नीम के पत्ते कार्बोहाइड्रेट, फैट, अमीनो एसिड, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम, प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन सी, फाइबर, टैनिक एसिड जैसे तमाम पोषक तत्वों से भरपुर होते हैं। तासीर में नीम ठंडा होता है। इसलिए यह एसिडिटी, सीने में जलन और पाचन तंत्र के लिए भी बेहद फायदेमंद है। नीम के पत्ते को उबालकर उसके गुनगुने पानी को चाय की मात्रा में सेवन किया जा सकता है।
इसके पत्ते, बीज और छाल को पीसकर और फोड़े, फुंसी, दाद, खाज, खुजली और घाव पर लगाने से जल्द राहत मिलती है। इसके पत्तों को पानी में उबालकर स्नान करने से भी चर्म रोग की समस्या काफी हद तक दूर होती है। बहुत प्राचीन काल से ही इसकी टूसे यानी ताजी कोमल पत्तियों को सुबह खाली पेट खाकर पानी पीने की परंपरा चली आ रही है। हकीकत में ऐसा करने से रक्त शोधन यानी खून शुद्ध होता है और त्वचा से जुड़ी समस्याएं जड़ से खत्म हो जाती हैं। तमाम लाभकारी औषधि उस स्थिति में हानिकारक बन जाती हैं, जब बिन एक्सपर्ट के मुताबिक प्रयोग किया जाता है। औषधि का प्रयोग आयुर्वेद के चिकित्सक से राय लेकर ही करें।