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MP : सपा की दावेदारी कांग्रेस को पड़ेगी भारी, प्रदेश की 43 सीटों पर कांग्रेस के वोटों में करेगी सेंधमारी

भोपाल । मध्य प्रदेश सहित पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव को लोकसभा चुनाव के लिए चल रही विपक्षी एकता इंडिया की कसरत का लिटमेस टेस्ट माना जा रहा है। फिलहाल विधानसभा चुनाव में विपक्षी इंडिया गठबंधन में शामिल पार्टियां अपनी ढपली-अपना राग अलाप रही हैं। मप्र में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच तलवार खिंची हुई हैं। अब तक प्रदेश की 43 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस और सपा के उम्मीदवार आमने-सामने हैं। मप्र में कांग्रेस ने सपा के पिछले चुनावी प्रदर्शनों और उसके सीटों के दावों को दरकिनार कर दिया है। ऐसे में निगाहें इस बात पर टिक गई हैं कि विधानसभा चुनाव में सपा से अलग कांग्रेस की एकला चले…की चाल उसे कहां पहुंचाएगी?

हालांकि, समाजवादी पार्टी ने अपनी स्थापना के बाद मध्य प्रदेश में हुए हर विधानसभा चुनाव में हिस्सेदारी की है। लेकिन 1993 में पहली बार जब सपा चुनावी मैदान में उतरी थी तो सभी सीटों पर उसके उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। हालांकि, अगले ही विधानसभा चुनाव में फीके प्रदर्शन से उबरते हुए सपा ने 4 सीटें जीतीं थी। 2003 में भी सपा के हिस्से में 7 सीटें आई। लेकिन इसके बाद सपा सीटों की संख्या और वोटों का प्रतिशत दोनों घटते चले गएं। पिछल 2018 के विधानसभा चुनाव में तो सपा को महज एक ही सीट मिली थी। यही वजह है कि इस बार कांग्रेस ने सपा के सीट मांगने के दावों को बहुत तवज्जो नहीं दी। हालांकि, सपा नेताओं का कहना है कि पार्टी ने केवल वही छह सीटें मांगी थीं, जहां उसका जमीनी असर है। कांग्रेस के एक पदाधिकारी कहते हैं कि सपा की जमीन मध्य प्रदेश में भले ही बहुत मजबूत न हो, लेकिन भाजपा और कांग्रेस के नजदीकी मुकाबले वाली कुछ सीटों पर सपा की सेंधमारी कांग्रेस के लिए भारी पड़ सकती है।

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