नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी के सांसद राधव चड्ढा ने बुधवार को राज्यसभा में इंडेक्सेशन में आंशिक संशोधन किए जाने पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार देश की जनता से भाजपा से दिल लगाई पर टैक्स वसूल रही है। सरकार का एक सूत्रीय मिशन ही टैक्स वसूलना रह गया है। देश की जनता से जागने-सोने, हंसने-रोने, खाने-पीने, पढ़ाई-दवाई, खरीदने-बेचने, सड़क-हवाई यात्रा, कमाई-मिठाई समेत हर कए चीज पर टैक्स लिया जा रहा है। उन्होंने वित्त मंत्रालय द्वारा फाइनेंस बिल में लाए गए संशोधन पर कहा कि यह मामूली संशोधन है। इस संशोधन से सिर्फ 23 जुलाई 2024 से पहले जमीन और भवन खरीदने वाले निवेशकों को ही इंडेक्सेशन का लाभ मिलेगा। 23 जुलाई 2024 के बाद खरीदनी किसी भी संपत्ति पर इंडेक्सेशन का लाभ नहीं मिलेगा। जबकि हमारी केंद्रीय वित्त मंत्री से मांग थी कि पहले की तरह 100 फीसद इंडेक्सेशन लागू किया जाए। उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री से पहले की तरह ही इंडेक्सेशन को सभी तरह के निवेश पर 100 फीसद दोबारा लागू करने की मांग की।
राज्यसभा में पंजाब से ‘‘आप’’ सांसद राघव चड्ढ़ा ने सदन के सामने इंडेक्सेशन के मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए कहा कि कुछ दिन पहले टैक्स में इंडेक्सेशन पर हमने अपनी बात रखी थी। हमारे सुझाव को केंद्रीय वित्त मंत्री ने स्वीकारा और दो सप्ताह पहले देश के निवेशकों से जो इंडेक्सेशन छीना गया था, उसे पुनर्स्थापित कर दिया गया है। यह हमारे भारत सरकार की टैक्स पॉलिसी पर बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है कि हमारे देश की टैक्स पॉलिसी कितनी असमंजस में है। 23 जुलाई 2024 को केंद्र सरकार कहती है कि वो भारत के निवेशकों से इंडेक्सेशन वापस ले रही है, लेकिन 6 अगस्त को उसने अपना निर्णय पलटते हुए कहा कि इंडेक्सेशन को वापस नहीं लिया जाएगा, बल्कि इसे फिर से लागू किया जाएगा। यह स्थिति स्पष्ट करती है कि जब सरकार ऐसे लोगों से बजट तैयार कराएगी जिनके पास अर्थशास्त्र की जानकारी नहीं है, तो ऐसी गड़बड़ियां देखने को मिलेंगी।
राघव चड्ढा ने कहा कि भारत के निवेशकों से इंडेक्सेशन छीनना उसकी कमर तोड़ने जैसा है। मैंने सदन में पहले भी इंडेक्सेशन को पूरी तरह से पुनर्स्थापित करने की मांग रख थी, लेकिन वित्त मंत्रालय ने फाइनेंस बिल में संशोधन के प्रस्ताव में केवल आंशिक रूप से इंडेक्सेशन को पुनः लागू करने की बात की है। इसमें सभी तरह संपत्तियों पर इंडेक्सेशन वापस नहीं किया जा रहा है, बल्कि केवल भूमि और भवन जैसी अचल संपत्तियों पर ही इसे पुनः लागू किया जा रहा है। इसके अलावा, 23 जुलाई 2024 के बाद खरीदी गई संपत्तियों पर इंडेक्सेशन का लाभ नहीं मिलेगा। राघव चड्ढा ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि वो इंडेक्सेशन को पूरी तरह से पुनर्स्थापित करे। इसे सभी प्रकार की संपत्तियों पर लागू किया जाए और 23 जुलाई 2024 के बाद खरीदी गई संपत्तियों को भी इसका लाभ मिले। एसेट्स क्लासेस पर से इंडेक्सेशन को समाप्त करना वित्त मंत्री पर सवाल खड़ा करता है कि क्या वित्त मंत्री मुद्रास्फीति-समायोजित लाभ में विश्वास नहीं करतीं हैं और क्या उन्हें मुद्रास्फीति के प्रभाव का ज्ञान नहीं है। इंडेक्सेशन की कमी से निवेशकों पर अधिक टैक्स का बोझ पड़ेगा।
राघव चड्ढा ने यह भी कहा कि सरकार को सभी प्रकार की संपत्तियों पर पूर्ण इंडेक्सेशन वापस करना चाहिए और 23 जुलाई 2024 के पहले और बाद में खरीदी गई संपत्तियों के लिए कोई तारीख की सीमा नहीं होनी चाहिए। महंगाई देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रही है, और इसलिए मुद्रास्फीति- समायोजित लाभ पर इंडेक्सेशन लगाया जाता है। उन्होंने चेतावनी दी कि फाइनेंस बिल में इस प्रकार के संशोधन से रियल एस्टेट बाजार में कोई उछाल नहीं आएगा। इससे संपत्ति की रीसेल मार्केट में गिरावट आएगी, मकान न बिकने से किराया बढ़ेगा और लोगों के खर्च में वृद्धि होगी। साथ ही भविष्यवाणी की कि आने वाले समय में इससे विदेशी निवेश भी घटेगा।राघव चड्ढा ने बताया कि सरकार ने शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स को 15 फीसद से बढ़ाकर 20 फीसद और लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स को 10 फीसद से बढ़ाकर 12.5 फीसद कर दिया है, जिससे छोटे और बड़े सभी निवेशकों की स्थिति कमजोर हो गई है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी द्वारा लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस पर 18 प्रतिशत जीएसटी हटाने की मांग का समर्थन किया। चड्ढा ने कहा कि सरकार महंगाई और मल्टीपल टैक्सेशन की समस्याओं से आम आदमी पर टैक्स का बोझ बढ़ा रही है।
राघव चड्ढा ने देश के करदाताओं की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि सरकार का एकमात्र मिशन टैक्स वसूलना रह गया है। इस दौरान उन्होंने एक कविता के जरिए अपनी बात रखी। कहा, सरकार का एक सूत्रीय मिशन है टैक्स। सरकार का कमीशन है टैक्स। जागने पर टैक्स, सोने पर टैक्स, हंसने पर टैक्स, रोने पर टैक्स, खाने पर टैक्स, पीने पर टैक्स, बच्चों की पढ़ाई पर टैक्स, बुजुर्गों की दवाई पर टैक्स, फसलों की बुआई पर टैक्स, रेल और हवाई यात्रा पर टैक्स, खरीदने पर टैक्स, बेचने पर टैक्स, फैलने पर टैक्स, सड़क पर टैक्स, आसमान पर टैक्स, गाड़ी पर टैक्स, मकान पर टैक्स, सपनों पर टैक्स, अरमानों पर टैक्स, खुशी पर टैक्स, मुस्कान पर टैक्स, दिन-रात की गाढ़ी कमाई पर टैक्स, किताब पर टैक्स, स्याही पर टैक्स, सब्जी पर टैक्स, मिट्टी पर टैक्स, मिठाई पर टैक्स। सरकार जनता से वसूल रही है भाजपा से दिल लगाई पर टैक्स।
राघव चड्ढा ने ट्वीट कर कहा, इंडेक्सेशन की आंशिक बहाली पर्याप्त नहीं है। भारतीय निवेशक और मध्यम वर्ग इंडेक्सेशन की पूरी बहाली की मांग कर रहे हैं। पहला, केंद्र सरकार 24 जुलाई 2024 के बाद भी खरीदी गई संपत्तियों पर इंडेक्सेशन लाभ प्रदान करे। दूसरा, सभी तरह की संपत्ति पर इंडेक्सेशन लाभ प्रदान करें, न कि केवल अचल संपत्ति पर। 24 जुलाई 2024 के बाद खरीदी गई अचल संपत्तियों समेत सभी संपत्ति श्रेणियों पर इंडेक्सेशन लाभ को समाप्त किए जाने के यह सवाल उठता है कि क्या वित्त मंत्री मुद्रास्फीति-समायोजित लाभ के बुनियादी आर्थिक सिद्धांत में विश्वास नहीं करती हैं या अब ये भारत जैसे मुद्रास्फीति से प्रभावित देश में अब प्रासंगिक नहीं रह गया है। इंडेक्सेशन को खत्म करने का मतलब है कि करदाता अपने निवेश से होने वाले लाभ को मुद्रास्फीति के हिसाब से नहीं बदल सकते, जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें अधिक टैक्स देना पड़ता है। इससे उनकी निवेशों पर वास्तविक लाभ कम हो जाता है और मुद्रास्फीति के दबाव में अपनी संपत्ति को बनाए रखना अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाता है, जो भारत में एक लगातार समस्या है।