नई दिल्ली। शराब घोटाले के आरोपों से घिरे दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को कोर्ट से राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने यह कहते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी कि इस मामले में 336 करोड़ रुपए की मनी ट्रेल साबित हुई है, इसलिए जमानत नहीं दी जा सकती है। इसके साथ ही कोर्ट ने 6 से 8 महीने में ट्रायल पूरा करने का निर्देश दिया है।
बता दें इसके पहले हाईकोर्ट ने 30 मई को सीबीआई मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि उपमुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री के पद पर रहने के नाते, वह एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं तथा वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। हाईकोर्ट ने धनशोधन मामले में तीन जुलाई को उन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि उनके खिलाफ आरोप ‘बहुत गंभीर प्रकृति’ के हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर 17 अक्टूबर को सुनवाई पूरी होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
तब सिसोदिया के वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में कहा था कि जांच एजेंसी के पास इस पूरे प्रकरण में सिसोदिया से सीधे जुड़ा कोई सबूत नहीं है।सुप्रीम कोर्ट ने 17 अक्टूबर को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से कहा था कि अगर दिल्ली आबकारी नीति में बदलाव के लिए कथित तौर पर दी गई रिश्वत ‘अपराध से आय’ का हिस्सा नहीं है, तो संघीय एजेंसी के लिए सिसोदिया के खिलाफ धनशोधन का आरोप साबित करना कठिन होगा। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आबकारी नीति ‘घोटाले’ में कथित भूमिका को लेकर सिसोदिया को 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था. वह, तब से ही हिरासत में हैं। ईडी ने सीबीआई की प्राथमिकी पर आधारित धनशोधन मामले में नौ मार्च को तिहाड़ जेल में पूछताछ के बाद सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया था। सिसोदिया ने 28 फरवरी को दिल्ली मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था।