कानपुर। कानपुर में ट्रेन हादसे के चार एजेंसियों ने साजिश के सबूत जुटाने में जुटी हैं। लखनऊ और कानपुर की फोरेंसिक टीम, एटीएस, एसआईटी चीफ और आईबीने पांच घंटे तक चार सौ मीटर के दायरे में जांच पड़ताल की। ट्रैक, बोल्डर और खराब हुई पटरियों को भी मापा। इंजन के ब्लैक बॉक्स की जांच में सामने आया कि हादसे के वक्त साबरमती एक्सप्रेस 90 किमी प्रतिघंटे की स्पीड से दौड़ रही थी। ड्राइवर ने जांच एजेंसियों को बताया कि 30 मीटर दूर से उसे कोई भारी चीज पटरी पर रखी दिखी। इससे टकराने और इमरजेंसी ब्रेक लगाने से ट्रेन डिरेल हो गई। साबरमती के इंजन को इलेक्ट्रिक लोको शेड में टेक्निकल मुआयने के लिए भेजा है। इंजन के कैटल कैचर पर कुछ इंप्रेशन मिले थे।
ये इंप्रेशन कितने हार्ड ऑब्जेक्ट कितनी भारी चीज से टकराया है? यह जांच करने के लिए फोरेंसिक टीम इलेक्ट्रिक लोकोशेड भी गई। जहां कैटल कैचर की जांच की गई। एसआईटी चीफ ने कहा कि ट्रेन के ड्राइवर और असिस्टेंट लोको पायलट ने बताया कि ट्रेन भारी चीज से टकराई और डिरेल हो गई। जब ड्राइवर के दावों की जांच की गई तो घटना वाली जगह ऐसी कोई भारी चीज नहीं मिली, जो ट्रेन से टकराई हो। लोको पायलट यह नहीं बता सका कि क्या भारी वस्तु रखी थी। उसे जांच एजेंसी ने नोटिस जारी किया है। जांच एजेंसियों ने कई सबूत जुटाए हैं। फोरेंसिक रिपोर्ट आने के बाद ही साफ हो सकेगा।
जांच टीम को मौके पर एक बोल्डर और क्लैंप मिला। उसे क्लैंप के जरिए पटरी पर बंधवाने की कोशिश की। घंटेभर की कोशिश के बाद भी बोल्डर उसी क्लैंप के सहारे पटरी पर नहीं बांधा जा सका। जांच टीम को हादसे वाली जगह से करीब 120 मीटर दूर ओवरब्रिज के नीचे कुछ और बोल्डर जमीन में धंसे मिले। इन पर जंग लगे थे। पुलिस का दावा है कि कई दिनों से रेलवे ट्रैक पर काम हो रहा था। इसलिए वहां रेलकर्मी की लापरवाही ये सामान छूट गया होगा। नौ सीसीटीवी कैमरों की अभी भी जांच की जा रही है। ट्रेन हादसे के बाद से रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसे साजिश बताते हुए इसकी जांच का आदेश दिया था। फोरेंसिक की रिपोर्ट आने के बाद ही साफ हो सकेगा। फिलहाल सुरक्षा एजेंसियां और पुलिस इसे साजिश मानकर जांच में जुटी हैं।