नई दिल्ली। पीएम मोदी ने भारत शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन की मेजबानी की। इस दौरान उन्होंने आतंकवाद से लेकर शांति और विकास के मुद्दे पर बातचीत की। पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने एससीओ में सहयोग के लिए पांच नए स्तंभ बनाए हैं, स्टार्टअप और इनोवेशन, पारंपरिक दवा, युवा सशक्तिकरण, डिजिटल समावेशन और साझा बौद्धिक विरासत है।
पीएम मोदी ने कहा कि पिछले दो दशकों में एससीओ एक महत्वपूर्ण मंच बनकर उभरा है। पीएम मोदी ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ की मौजूदगी में खरी खोटी भी सुनाई। उन्होंने कहा, आतंकवाद क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति के लिए प्रमुख खतरा बना हुआ है। इस चुनौती से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई आवश्यक है। आतंकवाद चाहे किसी भी रूप में हो, किसी भी अभिव्यक्ति में हो, हमें इसके विरुद्ध मिलकर लड़ाई लड़नी होगी। कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीतियों के साधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं। आतंकवादियों को पनाह देते हैं। एससीओ को इसतरह के देशों की आलोचना में कोई संकोच नहीं करना चाहिए।
एससीओ के अध्यक्ष के रूप में, भारत ने हमारे बहुआयामी सहयोग को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए निरंतर प्रयास किए हैं। इन सभी प्रयासों को हमने दो मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित किया है। पहला प्रयास है, वसुधैव कुटुंबकम यानी पूरा विश्व एक परिवार है। ये सिद्धांत प्राचीन समय से हमारे सामाजिक आचरण का अभिन्न अंग रहा है और आधुनिक समय में ये हमारी प्रेरणा और ऊर्जा का स्रोत है। दूसरा- सोर्स यानी, सिक्योरिटी, आर्थिक विकास, कनेक्टिविटी, एकता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान और पर्यावरण संरक्षण। पीएम ने कहा कि भारत और अफगानिस्तान के लोगों के बीच सदियों पुराने मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं। पिछले दो दशकों में हमने अफगानिस्तान के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए योगदान दिया है।