नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हिंडनबर्ग-अडानी मामले में फैसला सुनाया और अडानी समूह को बड़ी राहत प्रदान की है। सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी जांच से इंकार करते हुए सेबी को ही जांच करने को कहा है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की त्रिपल बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सेबी की जांच में सुप्रीम कोर्ट दखल नहीं देगा। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी समूह के खिलाफ लगे आरोपों की जांच करने वाले बाजार नियामक सेबी के अधिकार क्षेत्र में दखल देने का सीमित अधिकार है। इसी के साथ कोर्ट ने सेबी को 2 बाकी मामलों की जांच के लिए 3 महीने का समय दे दिया।
गौरतलब है कि अडानी-हिंडनबर्ग विवाद से जुड़ी विभिन्न याचिकाओं पर प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने 24 नवंबर को याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सेबी की जांच उचित है। सेबी ने 24 मामलों में से 22 की जांच की है। अब शेष बचे दो मामलों की जांच भी तीन महीने में पूरी कर रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिये जा रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि सेबी सक्षम प्राधिकरण है। ओसीसीपीआर की रिपोर्ट के आधार पर सेबी की जांच पर संदेह नहीं किया जा सकता। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने जांच को सेबी से एसआईटी को सौंपने से भी इंकार कर दिया। वैसे याचिकाकर्ता द्वारा इसकी मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सेबी इस जांच के लिए सक्षम एजेंसी है, इसलिए हमें इसमें दखल देने की आवश्यकता नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार और सेबी को भारतीय निवेशकों के हित को मजबूत करने के लिए विशेषज्ञ समिति की सिफारिश पर काम करने के लिए कहा है। कोर्ट ने सेबी से कहा है कि मौजूदा नियामक तंत्र को बेहतर बनाने के लिए विशेषज्ञ कमेटी के सुझाव पर काम करें। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने एक्सपर्ट कमेटी के सदस्यों पर उठे सवालो को भी खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हितों के टकराव की याचिकाकर्ता की दलील बेमानी है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि बिना पुख्ता आधार के जांच सेबी से ट्रांसफर करना कोई आधार नहीं है। महज मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर सेबी की जांच पर संदेह करना या किसी निष्कर्ष पर पहुंचना सही नहीं है। इस प्रकार समझा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट से अडानी को बड़ी राहत प्रदान कर दी है।