नागपुर । लगातार हो रही भारी बारिश ने नागपुर शहर का रुप ही बदल दिया है। यहां शुक्रवार-शनिवार की मध्यरात्रि से हुई भारी बारिश के कारण चारों और पानी ही पानी दिखाई दे रहा है। यहां बारिश के कारण एक महिला सहित कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई, जबकि 400 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। महाराष्ट्र की दूसरी राजधानी नागपुर, जो इस तसय झील नगरी जैसी दिखाई दे रही है, लगभग जलमग्न हो गई है। बचाव कार्य के लिए भारतीय सेना को की जानकारी भी एक अधिकारी द्वारा दी गई। यहां गरज और चमक के साथ मूसलाधार बारिश हुई, जिससे शहर और आसपास के इलाकों में बाढ़ आ गई और कई इलाकों में एक से चार फीट तक जलभराव हो गया। आवासीय परिसरों के भूतल पर पानी भर जाने के कारण हजारों नागरिक अपने घरों या इमारतों में फंसे रह गए। और वे बाहर निकलने में असमर्थ हो गए। शहर के बड़े क्षेत्रों में एहतियात के तौर पर बिजली बंद कर दी गई, जिससे पानी की आपूर्ति भी प्रभावित हुई।
मिली जानकारी के अनुसार मीराबाई पिल्लै नामक 70 वर्षीय महिला की बाढ़ में मौत हो गई है। विभिन्न हिस्सों में 400 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है, जबकि 10,000 से अधिक घर जलमग्न हो गए हैं और भारी नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मुंबई में कहा कि सरकार नागपुर में बाढ़ की स्थिति पर लगातार नजर रख रही है और वहां के अधिकारियों के संपर्क में है। केंद्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने बचाव और राहत कार्यों पर चर्चा करने के लिए शीर्ष नागरिक अधिकारियों के साथ बैठकें कीं, जबकि शहर अगले दो दिनों के लिए ऑरेंज अलर्ट पर है। फड़नवीस ने उन लोगों को 10,000 रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की, जिनके घर बाढ़ के पानी में डूब गए थे, दुकानदारों को 50,000 रुपये और छोटे व्यवसायों को 10,000 रुपये का मुआवजा दिया गया।
यहां बचाव कार्य के लिए सेना की टुकड़ियों के अलावा एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, नागपुर पुलिस, फायर ब्रिगेड और अन्य एजेंसियों की टीमों को नावों में तैनात किया गया था। शहर में रुक-रुक कर हो रही बारिश अभी भी जारी है। शहर के कुछ इलाकों में गंभीर जलभराव की सूचना मिली है, जिनमें शंकर नगर, पंचशील चौक, सीताबर्डी, अंबाझरी, कांचीपुरा, इतवारी, लकड़गंज, धरमपेठ, मेकोसाबाग, सदर, कॉटन मार्केट और आसपास के इलाके शामिल हैं। एक निजी छात्रावास में फंसी कम से कम 50 लड़कियों को रस्सियों की मदद से बचाया गया और ऊंचे स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया, और जिन इमारतों में दो-तीन फीट पानी घुस गया था, वहां रहने वाले कुछ संकटग्रस्त परिवारों को भी बाहर निकाला गया।