नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट में बिलकिस बानो गैंगरेप केस के दोषियों की रिहाई से जुड़ी याचिका पर आखिरी सुनवाई मंगलवार को एक बार फिर टल गई। गुजरात सरकार द्वारा दोषियों को सजा पूरी होने से पहले छोड़े जाने पर सुप्रीम कोर्ट में बिलकिस बानो सहित कई लोगों के द्वारा याचिकाएं दायर की गई थीं। याचिका में गुहार लगाई गई थी कि गैंगरेप के दोषियों को छोड़े जाने का गुजरात सरकार के फैसले को रद्द किया जाए। लेकिन इस अपील पर अभी तक सुनवाई नहीं हो पा रही है। न्यायाधीश केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की बेंच ने दो मई को अंतिम सुनवाई की तारीख तय की गई थी। लेकिन सुनवाई नहीं हुई।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस जोसेफ ने सुनवाई के दौरान दोषियों से कहा कि वे चाहते ही नहीं कि ये बेंच मामले की सुनवाई करे। दोषियों की तरफ से पेश वकीलों ने बिलकिस बानो के हलफनामे पर आपत्ति जताई। बिलकिस ने कोर्ट से अपील की थी कि दोषियों को मिले नोटिस को डीम्स सर्विस घोषित किया जाए। इसपर दोषियों के वकील ने सुनवाई के दौरान कहा कि बिलकिस ने हलफनामा में झूठा दावा किया कि दोषियों ने नोटिस स्वीकार करने से इनकार किया है। वकील के अनुसार दोषियों को नोटिस मिल ही नहीं पाया है। क्योंकि वे शहर में मौजूद नहीं थे।
वकील ने दावा किया कि बिलकिस ने कोर्ट के साथ फ्रॉड किया है। साथ ही बिलकिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इसके बाद बेंच ने सुनवाई को स्थगित कर दी। ताकि सभी दोषियों के वकील काउंटर हलफनामे में अपनी आपत्ति दर्ज करा सकें। साथ ही बेंच ने यह भी निर्देश दिया कि जिन भी दोषियों को नोटिस नहीं मिला है, उन्हें उनके थाने के जरिये जानकारी उपलब्ध कराई जाए। गौरतलब है कि जस्टिस केएम जोसेफ 16 जून को रिटायर हो जाएंगे। उनका आखिरी वर्किंग डे 19 मई को है।
इसके चलते जस्टिस जोसेफ ने छुट्टियों के दौरान मामले की सुनवाई का ऑफर दिया। हालांकि इसपर बिलकिल बानो की वकील राजी हो गईं। लेकिन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और दोषियों के वकील नहीं तैयार हुए। वहीं इस सुनवाई पर हो रही देरी को लेकर जस्टिस जोसेफ नाराज हो गए और फिर उन्होंने दोषियों के वकील से कहा कि यह साफ है कि आप नहीं चाहते हैं कि ये बेंच मामले की सुनवाई करे। कोर्ट ने मामले की सुनवाई जुलाई तक स्थगित करने का फैसला किया है।