चंडीगढ़ – हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने कहा कि राज्य सरकार वायु गुणवत्ता सूचकांक को लेकर अत्यधिक सतर्क है और धान की पराली जलाने के मामलों को ओर कम करने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहें हैं। उन्होंने कहा कि पिछले साल की तुलना में 2023 में पराली जलाने की घटनाओं में 38 फीसदी की कमी आई। वर्ष 2022 में राज्य में पराली जलाने के 2,083 मामले दर्ज किए गए, जो 2023 में घटकर 1,296 मामले रह गए। वर्ष 2021 की तुलना में 2023 में पराली जलाने की घटनाओं में 57प्रतिशत की कमी आई है। कौशल ने यह जानकारी एनसीआर में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के अध्यक्ष डॉ. एम. एम. कुट्टी की अध्यक्षता में एक वर्चुअल समीक्षा बैठक के दौरान दी। बैठक में सभी उपायुक्तों ने भी वर्चुअली भाग लिया।
डॉ. कुट्टी ने पिछले वर्ष की तुलना में खेतों में पराली जलाने की घटनाओं में 60 प्रतिशत से अधिक की कमी हासिल करने के लिए करनाल और कैथल के उपायुक्तों की सराहना की। उन्होंने कहा कि खेतों में पराली जलाने को नियंत्रित करने में हरियाणा ने बेहतर कार्य किया है, लेकिन वायु गुणवत्ता सूचकांक में सुधार के लिए आगामी त्योहारी सीजन के दौरान कड़ी निगरानी और कड़े उपायों करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पराली जलाने की घटनाओं में कमी लाने के लिए ‘हरियाणा एक्स-सीटू मैनेजमेंट ऑफ पैडी स्ट्रॉ – 2023’ योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना का उद्देश्य बायोमास आधारित परियोजनाओं के लिए धान के भूसे की आपूर्ति सुनिश्चित करना है।
बैठक के दौरान कौशल ने बताया कि सरकार खेतों में लगने वाली आग को रोकने के लिए सख्त निगरानी और बदलाव के उपाय कर रही है। हरसेक द्वारा जलने की घटनाओं की सही समय पर रिपोर्टिंग और जिला, ब्लॉक-स्तरीय प्रवर्तन टीमों और उड़न दस्तों की तैनाती की गई है। फसल अवशेष जलाने से रोकने के लिए ग्राम एवं ब्लॉक स्तर पर नोडल अधिकारी भी नियुक्त किये गये हैं। इसके अलावा, सरकार खेतों में आग लगाने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रही है। अब तक 939 चालान किए गए हैं और 25.12 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया गया है। खेतों की आग के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के कार्यों की समीक्षा करने के साथ ही दोषी अधिकारियों को निलंबित करने का भी कार्य किया गया है।
हरियाणा की व्यापक रणनीति में इन-सीटू और एक्स-सीटू प्रबंधन दोनों शामिल हैं, जिसमें सक्रिय आग की घटनाओं के आधार पर गांवों को लाल, पीले और हरे क्षेत्रों में वर्गीकृत कर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। राज्य सरकार किसानों को सब्सिडी पर फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) मशीनें उपलब्ध करवा रही है। किसानों के लिए 19141 मशीनों की पहले ही स्वीकृत दी जा चुकी है जिसमें से 7572 मशीनें दे दी गई हैं। किसानों की 940 लाख एकड़ क्षेत्र पंजीकृत भूमि के लिए 1000 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से 90.40 करोड़ की राशि प्रोत्साहन स्वरूप निर्धारित की गई है। यह समग्र दृष्टिकोण वैकल्पिक फसल व्यवस्था को भी बढ़ावा देगा। फसल विविधीकरण के लिए चावल की सीधी बुआई (डीएसआर) को अपनाने के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है। रेड और येलो जोन में जीरो बर्निंग हासिल करने वाली पंचायतों को प्रोत्साहित किया जाएगा।
कौशल ने कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन को प्रोत्साहित करने के लिए पराली की गाठों के लिए परिवहन शुल्क दिया जा रहा है। राज्य सरकार पराली जलाने को कम करने और पर्यावरण के प्रति कृषि को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभिन्न उद्योगों के पास बायोमास का उत्पादन करने वाले गांवों के समूहों की पहचान करके धान के भूसे के औद्योगिक उपयोग पर कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि चालू वर्ष के लिए 13.54 लाख मीट्रिक टन धान के भूसे का औद्योगिक उपयोग होने का अनुमान है। हरियाणा प्रदूषण नियऩ़्त्रण बोर्ड के अध्यक्ष श्री राघवेंद्र राव ने उपायुक्तों को खनन और उत्खनन गतिविधियों की निगरानी करने और यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि कोई भी कचरा खुले में न जलाया जाए। उन्होंने सरकार द्वारा लागू उपायों को सख्ती से लागू करने पर बल दिया। बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव, पर्यावरण, वन एवं वन्यजीव विभाग विनीत गर्ग, अतिरिक्त मुख्य सचिव, स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ए.के. सिंह, निदेशक कृषि नरहरि सिंह बांगड, निदेशक पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन प्रदीप कुमार और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।