अहमदाबाद । 50 साल बाद पहली बार जमीन से निकले चक्रवाती तूफान आसना ने अपना रास्ता बदल लिया है। सालों बाद ऐसा पहली बार हुआ कि कोई साइक्लोन तटीय इलाकों में डेवलप होकर समुद्र की ओर बढ़ा है। मौसम विभाग ने बताया कि इस साइक्लोन से कोई खतरा नहीं है। वह तट से समुद्र की ओर बढ़ गया है। गुजरात के कच्छ तट पर दिन में बना चक्रवाती तूफान ‘असना’ इलाके पर कोई बड़ा प्रभाव डाले बिना अरब सागर में ओमान की ओर बढ़ गया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। भारतीय मौसम विभाग ने शनिवार को चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि अरब सागर पर गहरे दबाव के कारण बना आसना चक्रवात अगले 24 घंटों में अरब सागर के उत्तर-पूर्व में पश्चिम-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ेगा और भारतीय तट से दूर चला जाएगा।
आईएमडी ने कहा है कि मूसलाधार बारिश और बाढ़ का कारण बना गहन ‘अवदाब’ कच्छ के अपतटीय और पास के पाकिस्तानी इलाके में चक्रवात ‘असना’ में तब्दील हो गया। वर्ष 1976 के बाद से अरब सागर में अगस्त महीने में आया यह पहला चक्रवात है। इसका चक्रवात का नाम ‘असना’ पाकिस्तान ने दिया है।मौसम विभाग के अनुसार साइक्लोन आसना से पहले और वर्ष 1891 और 2023 के बीच अगस्त के दौरान अरब सागर में ऐसे केवल तीन (1944, 1964 और 1976) चक्रवाती तूफान आए। आखिरी बार ऐसा साइक्लोन 1976 में ओडिशा की तट उत्पन्न हुआ था। जो पश्चिम-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ा और अरब सागर में प्रवेश कर गया। 1944 में आया साइक्लोन अरब सागर के तट का पास काफी तबाही लाया था। वहीं, 1964 में आया साइक्लोन गुजरात के तट पर जेवलप हुआ और वहीं पर खत्म हो गया था। अहमदाबाद में आईएमडी के वैज्ञानिक और हेड अशोक कुमार दास ने इस घटना की दुर्लभता के बारे में बताया है।
उन्होंने कहा, ‘यह एक दुर्लभ घटना है। पिछली बार ऐसा कुछ 1976 में हुआ था, जब ज़मीन पर एक दबाव बना, साइक्लोन में बदल गया और फिर समुद्र की ओर बढ़ गया। आमतौर पर, यह इसके विपरीत होता है। आईएमडी ने बताया कि गुजरात के कच्छ के पास और पाकिस्तान तथा पूर्वोत्तर अरब सागर के आसपास के क्षेत्रों के ऊपर बना ‘गहरे दबाव’ की वजह से बना साइक्लोन पश्चिम की ओर 6 किमी प्रति घंटे की स्पीड से अरब सागर में चला गया है। इस साइक्लोन आसना का नाम पाकिस्तान ने दिया था। यह अगले दो दिनों तक भारतीय तट से दूर उत्तर-पूर्व अरब सागर के ऊपर लगभग पश्चिम-उत्तर पश्चिम की ओर बढ़ता रहेगा। डिप डिप्रेशन एक कम दबाव की स्थिति है जिसमें हवा की गति 52 किमी प्रति घंटे से 61 किमी प्रति घंटे तक होती है, जबकि साइक्लोन में हवा की गति 63 किमी प्रति घंटे और 87 किमी प्रति घंटे के बीच होती है।
किसी कम दबाव प्रणाली के साइक्लोन में बदलने के लिए समुद्र की सतह का तापमान 27 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक होना आवश्यक है। अगर देखा जाए तो बंगाल की खाड़ी में समुद्र की सतह का तापमान 28-30 डिग्री सेल्सियस है। अरब सागर में यह लगभग 27-28 डिग्री सेल्सियस है। यानी कि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में साइक्लोन के लिए आदर्श परिस्थिति बनी हुई है। बता दें कि गुजरात में पिछले कई दिनों से मूसलाधार बारिश की वजह से आसमान से आफत बरस रही है। मानों राज्य में जल प्रलय आ गई हो, बाढ़ की वजह से लोगों का जीना दुश्वार हो गया है। लेकिन, आईएमडी ने कच्छ की खाड़ी में जमीन वाले भाग के पास एक गहरे दबाव के साइक्लोन के उत्पन्न होने की जानकारी थी। इस साइक्लोन/चक्रवात का नाम आसना रखा है।