मुंबई/रांची। झारखंड के दूसरे चरण की 38 और महाराष्ट्र की सभी 288 विधानसभा सीटों के लिए सोमवार को चुनाव प्रचार थम गए। बुधवार को मतदान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मतदान होंगे। देश में सभी की नजर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव पर है। राज्य में जिस तरह के हालात हैं ये तो साफ है कि महाराष्ट्र में किसी को बहुमत मिलने की उम्मीद नहीं है। ऐसे में छोटी पार्टियां और निर्दलीय किंगमेकर की भूमिका में रहेंगे। इस बार छोटी पार्टियां और निर्दलीय 25 सीटें जीत सकते हैं, यानी सरकार यही बनवाएंगे।
महाराष्ट्र की सभी 288 सीटों पर 20 नवंबर को मतदान होंगे। जिस तरह की राजनीतिक स्थिति बनी हुई है, उससे महाराष्ट्र में एक बार फिर तोडफ़ोड़ की राजनीति शुरू हो सकती है। महाराष्ट्र के रुझान और सियासी समीकरण संकेत दे रहे हैं कि प्रदेश में किसी भी पार्टी या गठबंधन को बहुमत नहीं मिलने वाला है। महाराष्ट्र में महायुति को 125-145, महाविकास अघाड़ी को 132-155 सीटें मिलने के आसार हैं। बहुमत के लिए 145 सीटों की जरूरत है। ऐसे में प्रदेश में जिस तरह की राजनीतिक उथल-पुथल है उससे बड़ी टूट की संभावना बनी हुई है। ऐसी स्थिति में छोटी पार्टियां और निर्दलीय बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
सीटों के आंकड़े की अनुमानित स्थिति – महाराष्ट्र के रुझान और सियासी समीकरण चौंका रहे हैं। 288 विधानसभा सीटों वाले महाराष्ट्र में 148 सीटों पर चुनाव लड़ रही भाजपा 80 से 90 सीटों पर मजबूत दिख रही है। 2019 में उसे 105 सीटें मिली थीं। सहयोगी पार्टी शिवसेना (शिंदे गुट) 30-35 और एनसीपी (अजित गुट) 15-20 सीटें जीत सकती हैं। इस लिहाज से महायुति को 125 से 145 सीटें मिल सकती हैं। वहीं महाविकास अघाड़ी में कांग्रेस सबसे मजबूत दिख रही है। उसे 52-65 सीटें मिल सकती हैं। शरद पवार की पार्टी एनसीपी(एसपी) 50-55 सीटों पर मजबूत है। सबसे कमजोर स्थिति में शिवसेना (उद्धव गुट) है। उसे 30-35 सीटें मिल सकती हैं। महाविकास अघाड़ी को 132 से 155 सीटें मिलने के आसार हैं। उधर, महाराष्ट्र में छोटी पार्टियां और इंडिपेंडेंट कैंडिडेंट 20-25 सीटें जीत सकते हैं। अगर दोनों अलायंस बहुमत से दूर रह गए, तो सरकार बनाने में इनकी भूमिका सबसे अहम होगी।
हर रीजन में कैसी है पार्टियां की स्थिति – पूरा महाराष्ट्र 6 रीजन विदर्भ, मराठवाड़ा, पश्चिम महाराष्ट्र, उत्तरी महाराष्ट्र, कोंकण और मुंबई में बंटा है। सबसे ज्यादा सीटें 70 सीटें पश्चिम महाराष्ट्र में हैं। सबसे कम 35 सीटें उत्तरी महाराष्ट्र में है। क्षेत्रफल के लिहाज से विदर्भ महाराष्ट्र का सबसे बड़ा रीजन है। यहां की 62 में से 36 सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई है। पुणे के आसपास फैला पश्चिम महाराष्ट्र शरद पवार की पार्टी एनसीपी का गढ़ रहा है। अब एनसीपी दो धड़ों में बंट चुकी है। इस वजह से पश्चिम महाराष्ट्र की 70 में से ज्यादातर सीटों पर शरद पवार और अजित पवार की एनसीपी के बीच लड़ाई है। उत्तरी महाराष्ट्र नासिक, धुले, नंदुरबार और जलगांव जिलों से मिलकर बना है।
2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उत्तर महाराष्ट्र की 35 सीटें में से 20 सीटें जीती थीं। शिवसेना को 6, कांग्रेस को 5 और एनसीपी को 4 सीटें मिली थीं। मराठा आरक्षण आंदोलन का सेंटर बने मराठवाड़ा में जाति सबसे बड़ा फैक्टर है। मराठवाड़ा की लड़ाई एनसीपी(एसपी), एनसीपी(अजित पवार), भाजपा और कांग्रेस के बीच है। मुंबई से सटे ठाणे-कोंकण में शिवसेना (शिंदे गुट) और शिवसेना (उद्धव गुट) के बीच मुकाबला है। ठाणे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का गढ़ है, तो कोंकण का पूरा इलाका, रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग, रायगढ़ में पुरानी शिवसेना का दबदबा रहा है। वहीं मुंबई की 36 सीटों के चुनावी नतीजे बताएंगे कि शिवसेना का असली वारिस कौन है। वोट की ताकत एकनाथ शिंदे के पास है या फिर उद्धव ठाकरे के पास। यहां राज ठाकरे की पार्टी मनसे भी मैदान में है। ये पार्टी एक तरह से शिवसेना (उद्धव) के वोट ही काटेगी। लोकसभा चुनाव में 36 में से 20 सीटों पर महाविकास अघाड़ी आगे रहा था। महायुति को 16 सीटों पर बढ़त थी।