चंडीगढ़। हरियाणा में गुरूवार को चुनाव प्रचार थम गया। यहां की 90 सीटों पर 5 अक्टूबर को एक साथ वोट डाले जाएंगे। भाजपा और कांग्रेस ने दिल्ली से सटे इस राज्य में अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है। मुख्य मुकाबला इन्हीं दोनों दलों में है। बीते 10-12 दिन में भाजपा यहां रिकवरी मोड में नजर आई और उसने कई चीजों को ठीक किया। दूसरी ओर कांग्रेस ने अपने पक्ष में दिख रहे माहौल को बनाए रखने के लिए दिन-रात एक कर रखा है। प्रदेश में तकरीबन डेढ़ दर्जन सीटें ऐसी हैं, जहां भाजपा-कांग्रेस के बीच मुकाबला बेहद कड़ा है। यहां आखिरी समय में पलड़ा किसी भी तरफ झुक सकता है। इन सीटों पर जीत-हार का मार्जिन भी कम रहने का अनुमान है। कई सीटों का रिजल्ट इस बात पर भी डिपेंड करेगा कि वहां थर्ड प्लेयर के रूप में इनेलो-बसपा, आपऔर जेजेपी-एएसपी के अलावा निर्दलीय कितने वोट ले पाते हैं।
हरियाणा की 90 सीटों में से कांग्रेस 40 से 50 और भाजपा 22 से 32 सीटों पर मजबूत दिख रही है। भाजपा की सीटों का आंकड़ा बहुत हद तक इस बात पर भी डिपेंड रहेगा कि साइलेंट वोटर आखिरी समय में किस तरफ जाता है और जाट-दलित वोट बंटते हैं या नहीं। साध्वी यौन शोषण केस में सजा काट रहा डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम पोलिंग से ठीक पहले पैरोल पर बाहर आ चुका है। कांग्रेस इसके खिलाफ चुनाव आयोग गई, लेकिन उसकी आपत्तियां दरकिनार कर दी गईं। राज्य की दो दर्जन से ज्यादा सीटों पर डेरे का प्रभाव है और वह आधा दर्जन से ज्यादा सीटों पर रिजल्ट प्रभावित कर सकता है। इसका फायदा भाजपा को मिलने का अनुमान है। अन्य दलों की बात करें तो इनेलो-बसपा गठबंधन 1 से 5 और निर्दलीय 4 से 9 सीटों पर आगे रह सकते हैं। दर्जनभर सीटों पर वह मुख्य टक्कर में हैं। आम आदमी पार्टी का वोट शेयर तो इस बार बढऩे की उम्मीद है, लेकिन वह एकाध सीट पर ही मुख्य मुकाबले में है। दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी और सांसद चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी कहीं फाइट में नजर नहीं आती।