पटियाला : शिक्षा संस्थाओं के कर्जे में डूबे होने को सामाजिक लानत बताते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आज स्पष्ट शब्दों में कहा कि शैक्षिक संस्थाओं को फंडों की कमी नहीं आने दी जायेगी, जिससे राज्य का कोई भी बच्चा मानक शिक्षा हासिल करने के अवसरों से वंचित न रहे। आज यहाँ श्री गुरु तेग़ बहादुर हॉल में पंजाबी यूनिवर्सिटी के 62वें स्थापना दिवस के अवसर पर करवाए गए समारोह के अवसर पर यूनिवर्सिटी के अध्यापकों और विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा के अवसर मुहैया करवाना सरकार का पहला कर्तव्य होता है और उनको इस बात की तसल्ली है कि राज्य सरकार शैक्षिक संस्थाओं को अधिक से अधिक सहयोग देकर शिक्षा का स्तर ऊँचा उठाने के लिए निरंतर यत्नशील है।
पंजाब और पंजाबी को प्रफुल्लित करने में अहम योगदान दे रही इस यूनिवर्सिटी के स्थापना दिवस की बधाई देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘यह यूनिवर्सिटी पंजाब और पंजाबी माँ-बोली का गौरव है। इसको ‘मालवे का दिल’ भी कहा जाता है। मैंने इस यूनिवर्सिटी को कर्ज के बोझ से मुक्त करने की गारंटी दी थी, जिससे उत्तरी भारत में उच्च शिक्षा प्रदान करने वाली इस नामवर यूनिवर्सिटी की गौरवमयी और असली शान को बहाल किया जा सके। आज स्थापना दिवस के अवसर पर मुझे आपके साथ यह बात साझी करते हुए ख़ुशी हो रही है कि इस साल के बजट में राज्य सरकार ने यूनिवर्सिटी को हरेक महीने 30 करोड़ रुपए की अनुदान राशि देने की व्यवस्था कर दी है। मुझे पूरी उम्मीद है कि यह यूनिवर्सिटी अब वित्तीय परेशानियों से मुक्त होकर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियाँ हासिल करेगी।’’
उच्च शिक्षा को नौजवानों के जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव बताते हुए भगवंत मान ने कहा कि पंजाबी यूनिवर्सिटी राज्य के ख़ासकर ग्रामीण इलाके के नौजवानों के लिए रोल मॉडल के तौर पर भूमिका अदा कर रही है, जो इन नौजवानों को अपने सपने साकार करने में मार्गदर्शन करती है। यह यूनिवर्सिटी नौजवानों को तालीम देने के साथ- साथ अन्य रचनात्मक गतिविधियों के लिए भी प्रोत्साहित कर रही है। पंजाबी यूनिवर्सिटी के साथ जुड़ी यादों को याद करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘इस यूनिवर्सिटी ने मुझे अपने जीवन में नई सोच और नए रास्तों पर चलने के लिए प्रेरित किया। मेरी कला का आधार इस यूनिवर्सिटी से बंधा और श्री गुरु तेग़ बहादुर हॉल का मंच मेरे जीवन एक मार्गदर्शन के समान है, जहाँ से मैंने अपने सपनों की उड़ान भरी थी।’’
नौजवानों को अपना रोल मॉडल ख़ुद बनने का न्योता देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज में नए पैरों के निशान डालने वाले लोग ही दूसरों के लिए मिसाल बनकर उभरते हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में रिवायतों से हटकर नए विचारों के साथ आगे बढ़ा जा सकता है, क्योंकि हमें समय के साथ चलने की ज़रूरत है। ‘स्कूल ऑफ एमिनेंस’ को नौजवानों का भविष्य तराशने वाली संस्थाएँ बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाले समय में ‘स्कूल ऑफ एमिनेंस’ जैसे आला दर्जे के स्कूलों से शिक्षा प्राप्त कर नौजवान अपने लक्ष्य को पा सकेंगे और उस लक्ष्य को हासिल करने के लिए यूनिवर्सिटियों में पढऩे जाया करेंगे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के आठवीं कक्षा के परिणामों में पहले तीन स्थान हासिल करने वाले विद्यार्थियों की इस बड़ी उपलब्धि का भी जि़क्र किया। पंजाबी भाषा को प्रफुल्लित करने के लिए अपनी वचनबद्धता को दोहराते हुए भगवंत मान ने कहा कि राज्य सरकार मातृभाषा के प्रचार और प्रसार के लिए बड़े प्रयास कर रही है। उन्होंने बताया कि राज्य में दुकानों के साईन बोर्डों पर पंजाबी को सबसे अधिक प्राथमिकता देने के लिए विशेष मुहिम चलाई जा रही है, जिससे पंजाबी भाषा के सत्कार में कोई कमी बाकी न रहे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने श्री गुरु तेग़ बहादुर हॉल को अपग्रेड करने का ऐलान करते हुए कहा कि इस हॉल को आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा, जिससे इस हॉल में अंतरराष्ट्रीय स्तर के समागम भी करवाए जा सकें। इस अवसर पर पंजाबी यूनिवर्सिटी के उप कुलपति प्रो. अरविन्द ने यूनिवर्सिटी को कर्जे से मुक्त करने के लिए उठाए गए कदमों के लिए मुख्यमंत्री का विशेष रूप से धन्यवाद किया। उप कुलपति ने कहा कि इस उच्च संस्था के पर कर्ज होने के कारण इसकी नींव कमज़ोर होने लगी थीं, परन्तु मुख्यमंत्री द्वारा फराखदिली के साथ फंड देने के कारण यह नींव अब और अधिक मज़बूत होने लगी हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री को विश्वास दिलाया कि सरकार ने अपना कर्तव्य पूरा कर दिया है और अब यूनिवर्सिटी उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बड़े स्थान हासिल करेगी।
इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर बलबीर सिंह और सूचना एवं लोक संपर्क मंत्री चेतन सिंह जौड़ामाजरा और अन्य शख़्िसयतें भी उपस्थित थीं।