नई दिल्ली । अगले कुछ दिनों में दिल्ली में कांग्रेस के राज्य नेतृत्व के शीर्ष पर संगठनात्मक परिवर्तन करने जा रही है। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नए अध्यक्ष के नाम की घोषणा का इंतजार न केवल पार्टी के लागों द्वारा किया जा रहा है, बल्कि दिल्ली में अपने प्रमुख दो राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों में से एक आम आदमी पार्टी द्वारा भी किया जा रहा है। क्योंकि बीते कुछ दिनों से बजेपी द्वारा लाए गए अध्यादेश के खिलाफ आप विपक्ष को एकजुट करनें में लगी हुई है। बीते दिनों केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश के खिलाफ आप समर्थन के लिए कांग्रेस के पास पहुंच गई थी। कांग्रेस ने कहा है कि राज्य इकाइयों के इनपुट को ध्यान में रखा जाएगा। कांग्रेस पार्टी दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए संभावित उम्मीदवारों की जांच कर रही है।
पार्टी दिल्ली के ही किसी नेता को ये पद देने पर विचार कर रही है जो अनुभवी हो। पार्टी के एक सूत्र ने कहा, एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, जेएनयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार, पूर्व सांसद संदीप दीक्षित, दिल्ली के पूर्व मंत्री अरविंदर सिंह लवली और अजय माकन, पूर्व विधायक देवेंद्र यादव और दो बार के पार्षद और पार्टी की कर्नाटक इकाई के वर्तमान राष्ट्रीय सचिव अभिषेक दत्त इन लोगों का नाम काफी चर्चा में बना हुआ है। आप प्रमुख और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और वर्तमान अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को पत्र लिखकर अध्यादेश पर चर्चा के लिए बैठक की मांग की थी। आप नेताओं ने कहा कि वे अब भी उनके जवाब का इंतजार कर रहे हैं। आप नेताओं ने कहा कि यह बैठक जाहिर तौर पर अध्यादेश के प्रभाव पर चर्चा करने के लिए है, लेकिन 2024 में चुनाव पूर्व गठबंधन की बात की जा सकती है।
केजरीवाल ने मंगलवार को कहा कि 23 जून को पटना में गैर-भाजपा दलों की बैठक में दिल्ली अध्यादेश पर अपना रुख स्पष्ट करना कांग्रेस पर निर्भर है। बैठक बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल (यूनाइटेड) के नेता नीतीश कुमार द्वारा बुलाई गई है। नीतीश कुमार आगामी 2024 लोकसभा चुनावों पर चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा- मुझे उम्मीद है कि कांग्रेस अपना रुख स्पष्ट करेगी, क्योंकि उस बैठक में अन्य सभी राजनीतिक दल कांग्रेस से उसका रुख पूछेंगें मैं इस अध्यादेश के खतरों के बारे में बताऊंगा साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि इसी तरह का एक अध्यादेश अन्य राज्यों में भी जारी हो सकता है।