HomePunjabवायु की गुणवत्ता प्रबंधन के आयोग द्वारा पराली जलाने के आंकड़ों में...

वायु की गुणवत्ता प्रबंधन के आयोग द्वारा पराली जलाने के आंकड़ों में पिछले वर्ष की तुलना में 71% की कमी के लिए पंजाब की सराहना

चंडीगढ़ : राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के क्षेत्रों के वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने  पंजाब में पिछले वर्ष की तुलना में पराली जलाने के मामलों में 71% की कमी के लिए राज्य सरकार द्वारा किए गए ठोस प्रयासों की सराहना की है।पराली जलाने पर रोक के प्रयासों की समीक्षा करने के लिए संबंधित विभागों, डिप्टी कमिश्नरों और पंजाब के एस.एस.पीज. के साथ बैठक की अध्यक्षता करते हुए आयोग के चेयरपर्सन  राजेश वर्मा ने इस समस्या से निपटने के लिए पंजाब सरकार के प्रयासों की सराहना की। सभी डिप्टी कमिश्नरों के साथ पराली जलाने की रोकथाम संबंधी प्रयासों, विशेषकर उन जिलों में जहां पराली जलाने के सबसे अधिक मामले सामने आए हैं, की समीक्षा करते हुए उन्होंने पराली जलाने के मामलों को घटाकर शून्य करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया।  राजेश वर्मा ने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास सराहनीय हैं, लेकिन इनमें कुछ सुधार करने और इस पर और सख्ती से निपटने की आवश्यकता है।

चेयरपर्सन ने कहा कि आयोग स्थिति पर लगातार निकट दृष्टि बनाए रखेगा और रोकथाम के प्रयासों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए राज्य सरकारों और स्थानीय ऑथोरिटीयों के साथ समन्वय करता रहेगा। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि पंजाब में पराली जलाने को रोकने के प्रयास और तेज किए जाएं और इसके क्रियान्वयन में कोई ढिलाई न बरती जाए। उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।श्री राजेश वर्मा ने निर्देश दिया कि पराली जलाने की घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए 30 नवंबर तक, जब पराली जलाने का सिलसिला चरम पर होता है, सक्रिय रहना और उचित कदम उठाना सुनिश्चित करें।

चेयरपर्सन ने पराली जलाने के आंकड़ों के आधार पर और इस समस्या की रोकथाम के लिए उठाए गए कदमों के अनुसार गांवों की मैपिंग की भी वकालत की। इस दौरान पराली जलाने के अधिक मामलों वाले 13 जिलों के संबंधित डिप्टी कमिश्नर और एस.एस.पीज. ने प्रवर्तन और नियामक उपायों की रिपोर्ट भी प्रस्तुत की, जबकि अन्य ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपडेट साझा की।विचार-विमर्श में भाग लेते हुए पंजाब के मुख्य सचिव के.ए.पी. सिन्हा ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली राज्य सरकार किसानों को पराली प्रबंधन तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर राज्य में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि डिप्टी कमिश्नरों को निर्देश दिया गया है कि वे किसानों को सब्सिडी देकर जमीनी स्तर पर पराली के इन-सिटू और एक्स-सिटू प्रबंधन को सुनिश्चित करें।

 सिन्हा ने कहा कि 30 नवंबर तक, जब सीजन समाप्त हो जाएगा, गांव स्तर पर माइक्रो योजनाबंदी की जा रही है। मुख्य सचिव ने आयोग को यह भी बताया कि राज्य कार्य योजना के अनुसार, सभी चार थर्मल पावर प्लांट निर्धारित अनुपात में कोयले के साथ धान की पराली का उपयोग करेंगे।इसी प्रकार, अतिरिक्त मुख्य सचिव (कृषि) अनुराग वर्मा ने आयोग को भरोसा दिलाया कि आगामी दिनों में निगरानी को और बढ़ाया जाएगा और किसी भी प्रकार की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी, क्योंकि अधिकारी दिन-रात पूरी तत्परता के साथ काम कर रहे हैं।

पर्यावरण सचिव  प्रियांक भारती ने आयोग को भरोसा दिलाया कि पंजाब में आयोग के निर्देशों के पालन के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे। बैठक में अन्य के अलावा आयोग के सदस्य सचिव  अरविंद नौटियाल, निदेशक  आर.के. अग्रवाल, सदस्य  सुजीत कुमार बाजपेयी और डॉ. विकास सिंह, पंजाब के डी.जी.पी.  गौरव यादव, ए.डी.जी.पी. (कानून और व्यवस्था)  अर्पित शुक्ला, कृषि सचिव  अजीत बालाजी जोशी, पी.पी.सी.बी. के चेयरमैन प्रो. आदर्श पाल विग उपस्थित थे।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments