नई दिल्ली। बारिश के दिनों में चंबल के बीहड़ में प्राकृतिक रूप से पैदा होने वाले फल को ककोरा के नाम से पुकारा जाता है। ककोरा की डिमांड दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान तक है। थोक व्यापारी खरीद ले जाते हैं। इस फल का खासियत यह भी है कि यह बिना लागत और मेहनत के तैयार हो जाता है।काकोरा नाम के इस फल को खाने के काफी लोग इच्छुक रहते हैं क्योंकि साल के कुछ ही दिनों मिलता है। लोग जंगलों से तोड़कर इसे बेच लेते हैं औऱ उन्हें अच्छी कीमत मिल जाती है। कुछ दिनों के लिए यह ग्रामीण परिवारों के लिए सहारा होता है। वन्यजीव विशेषज्ञ भी इसके गुणों का बखान करने में पीछे नही हैं। विशेषज्ञ चिकित्सकों ने इस फल को दुनिया का सबसे ताकतवर फल माना है।
इसके सेवन से कई बीमारियां दूर हो जाती हैं। ककोरा ब्लड प्रेशर में लाभदायक है। इसमें प्रोटीन और आयरन भरपूर होता है। इसे पौष्टिक सब्जियों में गिना जाता है और ताकतवर सब्जी माना जाता है। ककोरा में प्रोटीन और आयरन भरपूर होता है जबकि कैलोरी कम मात्रा में होती है।यदि 100 ग्राम ककोरा की सब्जी का सेवन करते हैं तो 17 कैलोरी प्राप्त होती है। इसलिए यह वजन घटाने वाले लोगों के लिए भी बेहतर विकल्प है। ककोरा में मौजूद ल्युटेन जैसे केरोटोनोइडस विभिन्न नेत्र रोग, हृदय रोग की रोकथाम में सहायक हैं। बारिश के दिनों में इसकी पैदावार प्राकृतिक रूप से होती है। इसकी खेती कोई भी किसान नहीं करता। इसे स्थानीय भाषा मे ककोरा कहा जाता है और कुछ जगह इसे कंटोला या पड़ोरा नाम से भी जाना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम मोमोर्डिका डायोइका है।
इसकी खेती भी होती है लेकिन, चंबल के बीहड़ की रेतीली मिटटी में यह अपने आप पैदा होता है।ककोरा को वन करेला के नाम से जाना जाता है। बरसात के दिनों के लिए बहुत अच्छी सब्जी मानी जाती है। इसमें काफी मात्रा मे विटामिन, प्रोट्रीन आदि पाए जाते हैं जो इंसानी शरीर के लिए बेहद मुफीद माना जाता है। करोरा का सेवन करने से प्रतिरोधक क्षमता बढती है। इंसानी शरीर मे इमन्यूटी बढती है। इसमें आवश्यक एलीमेट्स, मिनरलस और विटामिन पाए जाते हैं। इसके सेवन से सीजनल बीमारियों से बचने में काफी फायदा मिलता है। गांव वाले इसे तोड़ कर खुले बाजार मे बेचते हैं जिससे उनको खासा फायदा भी मिलता है।