चंडीगढ़ – हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आज ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से स्वयं सहायता समूहों के लाभार्थियों से सीधा संवाद करते हुए कई बड़ी घोषणाएं की। उन्होंने कहा कि भविष्य में राज्य में जितने भी राशन डिपो अलॉट होंगे, उनमें 33 प्रतिशत डिपो महिलाओं को देने का निर्णय सरकार ने लिया है। यदि कोई स्वयं सहायता समूह राशन डिपो के लिए आवेदन करता है तो उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी। इसके अलावा, पंचायत की जमीन या तालाब का मछली पालन के ठेके के लिए भी सेल्फ हेल्प ग्रुप आवेदन करता है तो उन्हें नीलामी की राशि में 10 प्रतिशत की छूट दी जाएगी।
उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि बस स्टैंड पर भी जो दुकानें लॉटरी या किसी अन्य तरीके से आवंटित की जाएंगी तो 25 प्रतिशत सेल्फ हेल्प ग्रुप्स के लिए आरक्षित रखी जाएंगी। यदि यह दुकानें नीलामी के माध्यम से आवंटित की जाएंगी तो एसएचजी को नीलामी की राशि में 10 प्रतिशत की छूट मिलेगी। उन्होंने कहा कि यदि स्वयं सहायता समूह के किसी सदस्य के परिवार की आय 1.80 लाख रुपये से अधिक बढ़ती है तो 1 वर्ष के लिए उनका राशन कार्ड और आयुष्मान कार्ड नहीं काटा जाएगा।
लाभार्थियों ने एसएचजी के लिए की गई घोषणाओं हेतु मुख्यमंत्री का किया आभार – संवाद के दौरान सेल्फ हेल्प ग्रुप के लाभार्थियों ने आज उनके लिए की गई बड़ी घोषणाओं के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। लाभार्थियों ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा एसएचजी को रिवाल्विंग फंड, सामुदायिक निवेश फंड और क्रेडिट लिंकेज स्कीम के तहत प्रदान की जा रही वित्तीय सहायता से उन्हें व्यापार चलाने में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आती है, इसके लिए भी सरकार का बहुत धन्यवाद। एसएचजी की महिलाओं ने राज्य सरकार द्वारा विशेष रूप से महिलाओं को समाज में आगे बढ़ाने के लिए दिए जा रहे अधिकारों के लिए भी मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के कार्यालय में एक कॉल सेंटर स्थापित किया जाएगा ताकि सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़े लाभार्थी विभिन्न प्रकार की जानकारी प्राप्त कर सकें।
वर्ष 2014 में केवल 812 एसएचजी थे, पिछले साढ़े 8 सालों इनकी संख्या बढ़कर हुई 57 हजार से ज्यादा – मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश में वर्ष 2014 में स्वयं सहायता समूहों की संख्या 812 थी। वर्ष 2014- 15 में सत्ता संभालने के बाद से ही हमारी सरकार ने स्वयं सहायता समूह की ओर ध्यान दिया और पहले ही साल में 2100 नए सेल्फ हेल्प ग्रुप्स बने और आज साढ़े 8 साल के बाद प्रदेश में कुल 57,376 स्वयं सहायता समूह हैं। इन्हें 54 करोड़ 57 लाख रुपये रिवोलविंग फण्ड, लगभग 285 करोड़ रुपये सामुदायिक निवेश फण्ड और लगभग 880 करोड़ रुपये बैंक क्रेडिट लिकेज प्रदान किया गया है। इतना ही नहीं, सरकार ने रिवोलविंग फंड की राशि को 10,000 रुपये से बढ़ाकर 20,000 रुपये कर दी है।
सेल्फ़ हेल्प ग्रुप आज सोशल हेल्प ग्रुप बने – मुख्यमंत्री ने कहा कि एसएचजी से जुड़कर महिलाएं स्वरोजगार अपनाकर अपने परिवार का पालन – पोषण तो कर ही रही हैं, साथ ही अन्य महिलाओं को भी रोजगार के अवसर प्रदान कर रही हैं। इसलिए सेल्फ़ हेल्प ग्रुप की बजाय इन्हें सोशल हेल्प ग्रुप कहना सार्थक होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लगभग 6 लाख महिलाओं ने स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से सिद्ध कर दिया है कि वे समाज की सच्ची ताकत हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी हुई महिलाओं को सराहनीय कार्यों व समाज में योगदान देने के लिये विभिन्न संस्थाओं व संगठनों द्वारा सम्मानित किया गया है। जिला गुरुग्राम के गांव चांदू निवासी श्रीमती पूजा शर्मा को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के अवसर पर राष्ट्रपति द्वारा नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार प्रदेश की अन्य महिलाओं को प्रोत्साहन व प्रेरणा प्रदान करेगा।
एसएचजी के उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री के लिए बनेगा पोर्टल – मुख्यमंत्री ने संवाद के दौरान ही अधिकारियों को आदेश दिए कि एक पोर्टल विकसित किया जाए, जिस पर सेल्फ हेल्प ग्रुप द्वारा बनाए गए उत्पादों की जानकारी डाली जाए। इन उत्पादों की गुणवत्ता को सर्टिफाई कर एक ब्रांड की पहचान दी जाए ताकि लोग इस पोर्टल के माध्यम से सेल्फ हेल्प ग्रुप के उत्पाद खरीद सकें। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी के इस युग में अपने उत्पादों के निर्माण में एसएचजी नवीनता लाएं और प्रतियोगिता में बने रहने के लिए उत्पादों की गुणवत्ता की ओर भी विशेष ध्यान दें।
स्वापन आजीविका मार्ट और सरस मेलों में एसएचजी अपने स्टॉल अवश्य लगाएं – मनोहर लाल ने कहा कि पिछले साल आयोजित स्वापन आजीविका मार्ट में एसएचजी के कौशल और दक्षता को देखने का अवसर मिला था। उसमें अनेक स्वयं सहायता समूहों की महिला कारीगरों एवं शिल्पकारों ने भाग लिया था। उस मेले में हथकरघा और हस्तशिल्प के उत्पाद प्रदर्शित किये गये थे। इसके अलावा एक फूड कॉर्नर भी था, जिसमें हरियाणवी भोजन के अलावा जैविक खेती के उत्पाद जैसे कि 12 मसाले , दालें तथा अन्य कृषि उत्पाद ग्राहकों को लुभा रहे थे। स्वयं सहायता समूहों द्वारा बने उत्पादों को बाजार उपलब्ध करवाने के लिए स्वापन आजीविका मार्ट और सरस मेले वर्षभर आयोजित करने का कार्यक्रम बनाया है। इसके तहत तीज व दीपावली के अवसर पर पूरे प्रदेश में उपमंडल स्तर पर स्वापन आजीविका मार्ट आयोजित किये जाते हैं। ऐसे सरस मेलों व मार्ट में अपने उत्पादों का स्टाल जरूर लगाएं।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटे अनाज वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। एसएचजी भी मोटे अनाजों के उत्पाद बनाना शुरू करें। आजादी के अमृत महोत्सव में हर घर तिरंगा अभियान के लिए महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा बनाये गये तिरंगे ने भारत का गौरव बढ़ाया है। कोरोना काल में मास्क बनाकर इस बीमारी से लड़ने में महत्वपूर्ण भी योगदान दिया। सरकार ने प्रदेशभर में 144 कैंटीन भी स्वयं सहायता समूहों को संचालन के लिए दी हुई हैं।
773 महिलाएं बैंक सुविधा प्रदाता के तौर पर कर रही काम – मुख्यमंत्री ने कहा कि एसएचजी के लिए विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की गई है। कम्प्यूटर का प्रशिक्षण प्राप्त कर तथा भारतीय बैंकिंग एवं वित्तीय संस्थान से उत्तीर्ण होकर 773 महिलाएं बैंक सुविधा प्रदाता के तौर पर काम कर रही हैं। इतना ही नहीं, राज्य सरकार एसएचजी द्वारा बनाए गए उत्पादों को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए पदमा स्कीम के तहत वन ब्लॉक वन प्रोडक्ट को प्रोत्साहित कर रही है।
सिलाई प्रशिक्षण योजना के तहत 9,921 लाभार्थियों को 5.85 करोड़ रुपये से अधिक की प्रोत्साहन राशि दी गई – मनोहर लाल ने कहा कि महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए राज्य सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं में 50 प्रतिशत प्रतिनिधित्व दिया गया है। इसके अलावा, सिलाई प्रशिक्षण योजना के तहत कच्चा सामान खरीदने के लिए दी जाने वाली 150 रुपये की राशि को बढ़ाकर 300 रुपये और 100 रुपये मासिक भत्ते को बढ़ाकर 600 रुपये किया गया है। इस योजना के तहत प्रशिक्षण उपरान्त सिलाई मशीन भी दी जाती है। नवम्बर, 2014 से अब तक 9,921 लाभार्थियों को 5 करोड़ 85 लाख 53 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी गई है।
149 लाभार्थियों को 5.41 करोड़ रुपये की ब्याज रहित राशि करवाई गई उपलब्ध – मनोहर लाल ने कहा कि स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को आजीविका के वैकल्पिक स्रोत उपलब्ध करवाने के लिए आजीविका ग्रामीण एक्सप्रेस योजना के तहत 149 लाभार्थियों को वाहन हेतु 5 करोड़ 41 लाख रुपये की ब्याज रहित राशि उपलब्ध करवाई गई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने ग्रामीण गरीब परिवारों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ना और विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये उनकी गरीबी को दूर करने के लिए हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन शुरू किया है। इस मिशन से जुड़ी हुई महिलाओं को सराहनीय कार्यों व समाज में योगदान देने के लिये विभिन्न संस्थाओं व संगठनों द्वारा सम्मानित किया गया हैउन्होंने कहा कि महिलाएं जिस काम को ठान लेती हैं, उस काम में सफलता अवश्य मिलती है। इसके सफल उदाहरण बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ और स्वच्छता अभियान हैं। इन अभियानों को सफल बनाने में माताओं व बहनों का सराहनीय योगदान रहा है।
इस अवसर पर विकास एवं पंचायत विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनिल मलिक, मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार भारत भूषण भारती, हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीमती अमरिंदर कौर सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।