नई दिल्ली। नई दिल्ली में जारी जी20 समिट के पहले दिन ही साझा घोषणा पत्र पर सहमति बन गई है। शनिवार को दूसरे सेशन की शुरुआत में प्रधानमंत्री मोदी ने बतौर अध्यक्ष यह जानकारी दी। उन्होंने सभी सदस्य देशों की सहमति से नई दिल्ली डिक्लेरेशन पाारित कर दिया। घोषणा पत्र में यूक्रेन जंग का 4 बार जिक्र हुआ है। समिट के पहले सेशन में भारत ने अफ्रीकन यूनियन को जी20 का परमानेंट मेंबर बनाने का प्रस्ताव रखा था। बतौर अध्यक्ष सभी देशों की सहमति से पीएम मोदी ने जैसे ही इसे पारित किया, अफ्रीकन यूनियन के हेड अजाली असोमानी जाकर पीएम मोदी के गले लग गए। भारत के प्रस्ताव का चीन और यूरोपियन यूनियन ने भी समर्थन किया। यूनियन को मेंबरशिप मिलने से अफ्रीका के 55 देशों को फायदा होगा।
गौरतलब है कि पहले रूस-यूक्रेन के मुद्दे को लेकर इस घोषणा-पत्र को मंजूरी मिलने में दिक्कतें आ रही थीं। हालांकि, बाद में भारत ने घोषणा-पत्र के पैराग्राफ में बदलाव किए, जिससे इसे मंजूरी मिलने में आसानी हुई। पीएम मोदी ने इस संयुक्त घोषणा-पत्र को मंजूरी मिलने के पीछे जी20 शेरपा, मंत्रियों और अधिकारियों का धन्यवाद किया और उनके कठिन परिश्रम के लिए उनकी तारीफ की। मोदी ने कहा कि मेरा प्रस्ताव है कि लीडर्स डिक्लेरेशन को भी अपनाया जाए। मैं भी इस डिक्लेरेशन को अपनाने की घोषणा करता हूं।
अफ्रीकन यूनियन जी 20 मेंबर बना – समिट में प्रधानमंत्री ने अफ्रीकन यूनियन को जी 20 का परमानेंट मेंबर बनाने का प्रस्ताव रखा। बतौर अध्यक्ष पीएम ने जैसे ही इसे पारित किया, अफ्रीकन यूनियन के हेड अजाली असोमानी जाकर पीएम मोदी के गले लग गए। भारत के प्रस्ताव का चीन और यूरोपियन यूनियन ने भी समर्थन किया। अफ्रीकन यूनियन को जी 20 की मेंबरशिप मिलने से अफ्रीका के 55 देशों को फायदा होगा। जी20 में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं।
दुनिया में भरोसे का संकट पैदा हुआ – पीएम ने कहा कि कोरोना के बाद विश्व में विश्वास का संकट पैदा हो गया है। यूक्रेन युद्ध ने इस संकट को और गहरा कर दिया है। जब हम कोरोना को हरा सकते हैं तो आपसी चर्चा से विश्वास के इस संकट को भी दूर सकते हैं। ये सभी के साथ मिलकर चलने का समय है। प्रधानमंत्री ने कहा- आज हम जिस जगह इक_ा हुए हैं, यहां कुछ किमी दूर ढाई हजार साल पुराना स्तंभ है। इस पर प्राकृत भाषा में लिखा है कि मानवता का कल्याण सदैव सुनिश्चित किया जाए। ढाई हजार साल पहले भारत की धरती ने ये संदेश पूरी दुनिया को दिया था। 21वीं सदी का यह समय पूरी दुनिया को नई दिशा देने वाला है।
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सतत विकास का आह्वान – दुनिया के शीर्ष नेताओं ने जलवायु मोर्चे सहित विश्व के समक्ष मौजूद विभिन्न चुनौतियों से निपटने की तत्काल आवश्यकता होने का आह्वान किया। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने कहा कि जी20 नेता वित्तीय संकट के बाद वैश्विक विकास को बहाल करने के लिए 15 साल पहले पहली बार एक साथ आए थे। हम अब अत्यधिक चुनौतियों वाले समय में मिल रहे हैं। दुनिया नेतृत्व प्रदान करने के लिए एक बार फिर जी20 की ओर देख रही है। मेरा मानना है कि हम मिलकर इन चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।
वैश्विक मुहिम के लिए एक कार्य बल बनाया जाएगा – ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा ने कहा कि उनके देश की जी20 अध्यक्षता के दौरान जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक मुहिम के लिए एक कार्य बल बनाया जाएगा। हम शमन, अनुकूलन, हानि और क्षति तथा वित्तपोषण के बीच संतुलित जलवायु एजेंडे के साथ, ग्रह की स्थिरता और लोगों की गरिमा सुनिश्चित करते हुए 2025 में ‘सीओपी 30’ तक पहुंचना चाहते हैं।
नई दिल्ली घोषणापत्र में क्या-क्या प्रमुख
– मजबूत, टिकाऊ, संतुलित और समावेशी विकास
– एसडीजी पर प्रगति में तेजी लाना
-सतत भविष्य के लिए हरित विकास समझौता
-21वीं सदी के लिए बहुपक्षीय संस्थान
-तकनीकी परिवर्तन और डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा
-इंटरनेशनल टैक्सेशन
– लैंगिक समानता और सभी महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाना
-वित्तीय क्षेत्र के मुद्दे
-आतंकवाद और मनी लॉन्ड्रिंग का मुकाबला करना
-अधिक समावेशी विश्व का निर्माण