नई दिल्ली । भारतीय कुश्ती फेडरेशन (डब्ल्यूएफआई) को 12 साल के बाद नया अध्यक्ष मिलने जा रहा है। यौन उत्पीड़न के आरोपों से जूझ रहे बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह का कार्यकाल पूरा हो चुका है और अब नए अध्यक्ष के लिए चुनाव हो रहे हैं। कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष पद के लिए चार उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र भरे हैं। बृजभूषण शरण सिंह भले ही चुनावी मैदान में नहीं है, लेकिन फेडरेशन पर अपनी पकड़ बनाए रखना चाहते हैं ऐसे में अपने करीबी संजय सिंह और जय प्रकाश को मैदान में उतारा है तो उनके सामने दूसरी तरफ से दुष्यंत शर्मा और अनीता श्योराण किस्मत आजमा रही हैं।
ऐसे में देखना है कि बृजभूषण सिंह का कुश्ती संघ पर दबदबा कायम रहता है या फिर डेढ़ दशक का उनका वर्चस्व खत्म हो जाएगा? कुश्ती फेडरेशन चुनाव के नामांकन के अंतिम दिन सोमवार को बृजभूषण सिंह के करीबी संजय सिंह ने अध्यक्ष पद के लिए नामांकन किया। इसके अलावा उन्होंने अपने एक और करीबी जय प्रकाश का भी नामांकन दाखिल कराया है ताकि संजय सिंह का किसी कारण से कैंसिल होता है तो एक उम्मीदवार मैदान में रहे। हालांकि, पहले प्रेसिडेंट के लिए मध्य प्रदेश कुश्ती संघ के अध्यक्ष मोहन यादव को चुनाव लड़ाने की चर्चा थी, लेकिन स्टेट्स यूनिट्स के वोटर्स का सपोर्ट उन्हें नहीं मिल पाया। ऐसे में आखिरी समय पर बृजभूषण सिंह ने संजय सिंह को मैदान में उतारा। फेडरेशन के महासचिव के लिए दर्शन लाल और कोषाध्यक्ष पद के लिए सत्यपाल देशवाल ने नामांकन दाखिल किया है। ये दोनों नेता भी बृजभूषण सिंह के करीबी माने जाते हैं।
वहीं, प्रतिद्वंद्वी गुट से जो लोग मैदान में उतरे हैं, उनमें रेलवे स्पोर्ट्स प्रमोशन बोर्ड (आरएसपीबी) के सचिव प्रेम चंद लोचब (गुजरात प्रतिनिधि) महासचिव पद के लिए मैदान में है। इसके अलावा बृजभूषण के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले में गवाहों में से एक अनीता श्योराण शामिल हैं, जिनका नाम शामिल किया गया है। इसके अलावा दुष्यंत शर्मा भी मैदान में है। दिलचस्प बात यह है कि कुश्ती फेडरेशन के पूर्व चीफ बृजभूषण शरण सिंह हरियाणा के संबंध रखने वाले देवेद्र सिंह कादियान, अनीता श्योराण और प्रेमचंद लोचब के नाम पर तैयार नहीं थे। वे चाहते थे कि उतराखंड कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष सतपाल सिंह या हरियाणा से बाहर किसी अन्य राज्यों के पास कुश्ती संघ की कमान जाए। सतपाल सिंह को बृजभूषण का करीबी माना जाता है। ऐसे में खेल मंत्रालय और स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (साई) के अधिकारी नहीं चाहते थे कि बृजभूषण सिंह का कोई खास अध्यक्ष की कमान संभाले।