मुंबई : अभिनेता सुनील शेट्टी को इंडस्ट्री में अपने शुरुआती दिनों में बहुत अधिक संघर्ष करना पड़ा। शेट्टी ने साल 1992 में आई फिल्म बलवान से डेब्यू किया था। हालांकि, उन्हें लोकप्रियता साल 1994 में आई फिल्म मोहरा से मिली। उसी साल आई उनकी गोपी किशन भी दर्शकों को काफी पसंद आई थी। शुरुआत में आलोचकों से भी उन्हें काफी आलोचनाएं भी झेलनी पड़ी थी। इन चीजों से केवल वही नहीं बल्कि उनकी फैमिली पर भी असर पड़ रहा था। उन्होंने कहा कि मैंने ये पहले से ही तय कर लिया था कि मैं अपने बच्चों को भारतीय स्कूल में नहीं पढ़ाउंगा।
मैं अपने बच्चों को अमेरिकन बोर्ड के स्कूल में पढ़ाना चाहता था। मैं ऐसी फैकल्टी चाहता था जो कि अमेरिकन हो।इसके पीछे वजह ये है कि मैं नहीं चाहता था कि मेरे बच्चों को स्पेशल फील कराया जाए कि वो सिलेब्रिटी के बच्चे हैं या उन्हें बताया जाए कि वे किसके बच्चे हैं। मैं उन्हें एक ऐसी दुनिया में जाने देना चाहता था जहां इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे कौन हैं। मुझे लगता है कि ये काम कर गया। मुझे याद है मेरे पिताजी मुझसे कहते थे कि इसके लिए बहुत पैसे खर्च करने होंगे।
उन्होंने बेटी आथिया के बारे में बातें करते हुए उन्होंने कहा, हम आथिया को लेकर एडमिशन के लिए अटलांटा गए और वहां उन्होंने कॉलेज देखा। सब कुछ हो गया और उन्हें पसंद भी आया। उनका एडमिशन हो गया और जब हम वापस आ रहे थे, तब उसने मुझसे एयरपोर्ट पर कहा- पापा, मैं ये करके खुश नहीं हूं। फिर मैंने उससे पूछा कि फिर आपको क्या करना है। इस पर आथिया ने मुझसे कहा- मैं फिल्मों में काम करना चाहती हूं। मैंने कहा कि ये अच्छी बात है लेकिन क्या अपनी असफलताओं को स्वीकार कर पाओगे? क्योंकि ये बहुत तनावपूर्ण होता है।