नई दिल्ली । भारत के चंद्रयान 3 ने भले ही इतिहास रच दिया, लेकिन इसरो की पहल यहीं समाप्त नहीं हुई है। चांद फतह के बाद अब सूरज के रहस्यों का पता लगाने के लिए इसरो ने मिशन आदित्य एल-1 की शुरुआत कर दी है। यह सोलर मिशन पीएम नरेन्द्र मोदी की निगहबानी में होगा। इसरो की मानें तो इसका सफर धरती से 15 लाख किमी का होगा। गौरतलब है कि 23 अगस्त 2023 की तारीख इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुकी है। इसरो के चंद्रयान-3 ने बुधवार शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चांद पर सफलतापूर्वक लैंडिंग कर दिखाई। लैंडिग होते ही पूरा भारत जोश से झूम उठा।
हर तरफ तालियों की गडग़ड़ाहट सुनाई दी। भारत का चंद्रयान जैसे ही चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर पहुंचा, ये इतिहास रचने वाला विश्व का पहला देश भारत बन गया। लेकिन ये तो बस अभी शुरुआत है। चांद के बाद अब सूरज की बारी है। दरअसल, इसरो जल्द ही सूरज के बारे में जानने के लिए एक मिशन की शुरुआत कर रहा है। इस सोलर मिशन का नाम आदित्य एल-1 है। इसका ऐलान खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। आदित्य एल-1 सूरज के रहस्यों का अध्ययन करने वाला भारत का पहला मिशन होगा। इसरो से मिली जानकारी के अनुसार ये स्पेसक्राफ्ट लॉन्च किए जाने के पूरे चार महीने बाद सूरज-पृथ्वी के सिस्टम में लैगरेंज पॉइंट-1 तक पहुंचेगा, जो कि धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर है।
लैगरेंज प्वाइंट 1 के चारों तरफ एक हेलो ऑर्बिट में होने के कारण इस प्वाइंट पर सूरज के ग्रहण का असर नहीं पड़ता। जिसके कारण वहां पर आसानी से शोध किया जा सकेगा। जल्दी ही अंतरिक्ष में आदित्य एल-1 नाम की ऑब्जर्वेटरी को भेजा जाएगा। इसे लॉन्च कब किया जाएगा इसकी तारीख तो फिलहाल तय नहीं की गई है। लेकिन इस मिशन को सितंबर के पहले हफ्ते में लॉन्च किया जा सकता है। आदित्य एल-1 स्पेसक्राफ्ट को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा। यहां गौरतलब है कि भारत पहली बार सूरज पर रिसर्च करने जा रहा है। लेकिन अब तक सूर्य पर कुल 22 मिशन भेजे जा चुके हैं।
इन मिशन को पूरा करने वाले देशों में अमेरिका, जर्मनी, यूरोपियन स्पेस एजेंसी शामिल है। सबसे ज्यादा मिशन नासा ने भेजे हैं। यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने भी नासा के साथ मिलकर ही अपना पहला सूर्य मिशन साल 1994 में भेजा था। नासा ने अकेले 14 मिशन सूर्य पर भेजे हैं। नासा के पार्कर सोलर प्रोब नाम के एक व्यक्ति ने सूर्य के आसपास से 26 बार उड़ान भरी है। नासा ने साल 2001 में जेनेसिस मिशन लॉन्च किया था। इसका मकसद था सूरज के चारों तरफ चक्कर लगाते हुए सौर हवाओं का सैंपल लेना।