नई दिल्ली । भारत से भागकर अपराधी चाहे दुनिया के किसी भी कोने छिप जाएं, मगर गायब रहने पर भी उन्हें देश में सजा होगी। इसके लिए एक नया कानून आ रहा है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि हमारे नए कानून में प्रावधान है कि दाऊद या कोई भी भगौड़ा दुनिया के किसी भी कोने में हो, उसकी गैर-मौजूदगी में भी कोर्ट में सुनवाई होगी और सजा सुनाई जाएगी। केंद्रीय मंत्री शाह ने कहा कि हमारी सरकार ने एक बहुत ऐतिहासिक फैसला किया है, यह फैसला हैं अनुपस्थिति में ट्रायल का। कई मामलों में दाऊद इब्राहिम वांटेड है।
वहां देश छोड़कर भाग गया, लेकिन उस पर अदालत का ट्रायल नहीं चल सकता। आज हमारी सरकार ने तय किया है कि सेशन कोर्ट के जज उचित प्रक्रिया के बाद जिस अपराधी को भगौड़ा घोषित करते हैं, उसकी गैर-मौजूदगी में ट्रायल होगा और उस सजा भी सुनाई जाएगी।केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने कहा कि किसी भी आरोपी को अगर सजा के खिलाफ अपील करनी है, तब उस आरोपी को भारत में आना होगा। गृहमंत्री शाह ने कहा कि हम तीन नए विधेयक लाएं हैं। आईपीसी 1860, सीआरपीसी 1898 और इंडियन एविडेंस एक्ट 1872, ये तीनों अंग्रेजों द्वारा लाए गए कानून थे। शाह ने कहा कि ‘1860 से 2023 तक देश की आपराधिक न्याय प्रणाली अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुसार काम करती रही। अब तीन कानून बदल जाएंगे और आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव होगा।
शाह ने कहा कि ‘अब हम लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता विधेयक-2023, भारतीय साक्ष्य विधेयक-2023 और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक ला रहे हैं। इसका उद्देश्य सभी को न्याय देना है। मैं सदन को आश्वस्त करता हूं इससे लोगों को न्याय मिलने में आसानी होगी। इन्हें स्टैंडिंग कमेटी में भेजा जा रहा है। आम आदमी इस नए कानून के केंद्र में होगा। शाह ने कहा कि 2019 में ही पीएम मोदी ने कहा था कि अंग्रेजों के बनाए गए कानूनों को आज के हिसाब से बनाया जाए।
इस पर केंद्रीय मंत्री शाह ने कहा कि इसके लिए व्यापक चर्चा की गई। सभी हाईकोर्ट, यूनिवर्सिटी, सुप्रीम कोर्ट, आईएएस, आईपीएस, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, सासंद, विधायक, लॉ यूनिवर्सिटी आदि को पत्र लिखकर सलाह ली गई है। शाह ने कहा कि न्याय मिलने में इतनी देर लगती है कि लोगों का भरोसा उठ गया है। लोग कोर्ट जाने से डरते हैं। अब इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल, एसएमएस, लोकेशन सबूत, ईमेल आदि सबकी कानूनी वैधता होगी। अदालत के कार्यवाही टेक्नोलॉजी के द्वारा हो सकेगी। पूरा ट्रायल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हो सकेगा। इन कानूनों को बनाने में फोरेंसिक टेक्नोलॉजी और अन्य एक्सर्ट्स को शामिल किया गया है।