नई दिल्ली । कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने को पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी व वन एवं जलवायु पर स्थायी समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। उनका कहना है कि सरकार की तरफ से कई महत्वपूर्ण विधेयकों को स्थायी कमेटी के पास नहीं भेजा गया। जयराम रमेश ने कहा कि ऐसी स्थिति में उन्हें इस पद पर बने रहने में कोई महत्व नजर नहीं आता है। इससे पहले जयराम ने जैविक विविधता संशोधन विधेयक पास करने को लेकर नाराजगी जाहिर की थी। पिछले हफ्ते ही तीन विधेयक संसद के मानसून सत्र के दौरान पारित किए गए।
उन्होंने फोरेस्ट (कनजर्वेशन) अमेंडमेंट बिल पास करने पर भी आपत्ति जताई और कहा कि सरकार ने स्थायी कमेटी के पास भेजने के बजाय संसद की ज्वॉइंट कमेटी के पास विधेयक भेजा, जिसके अध्यक्ष एक बीजेपी नेता हैं। जयराम ने कहा कि संसद के माध्यम से लाए गए तीन बहुत महत्वपूर्ण विधेयकों को सरकार ने जानबूझकर स्थायी कमेटी को नहीं भेजा। जयराम रमेश ने इसे लेकर ट्वीट भी किया, जिसमें उन्होंने लिखा, ये ऐसे विधेयक हैं, जो जैविक विविधता अधिनियम, 2002 और वन संरक्षण अधिनियम, 1980 और अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना के लिए मौलिक संशोधन करते हैं।
इतना ही नहीं, डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग और अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक, 2019 पर समिति ने कई ठोस सुझावों के साथ एक व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसे वापस ले लिया गया है। मोदी सरकार ने इसके बजाय आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) अधिनियम, 2022 के साथ इसे दरकिनार कर दिया है। उन्होंने कहा इन परिस्थितियों में मैं इस स्थायी समिति के अध्यक्ष के रूप में बने रहने में कोई महत्व नहीं देखता, जिसके विषय मेरे दिल के बहुत करीब हैं और मेरी शैक्षिक और व्यावसायिक पृष्ठभूमि में फिट बैठते हैं। स्वयंभू, सर्वज्ञानी और विश्वगुरु के इस युग में यह सब अप्रासंगिक है। मोदी सरकार ने एक और संस्थागत तंत्र को बेकार कर दिया है।