नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने मोदी उपनाम को लेकर की गई कथित विवादित टिप्पणी के संबंध में 2019 में दर्ज आपराधिक मानहानि मामले में राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगाते हुए शुक्रवार को उनकी लोकसभा की सदस्यता बहाल कर दी। राहुल गांधी की सांसदी जाने के 133 दिन बाद सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से कांग्रेस में हर्ष की लहर है। न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि टिप्पणी उचित नहीं थी और सार्वजनिक जीवन में भाषण देते समय एक व्यक्ति से सावधानी बरतने की उम्मीद की जाती है।
पीठ ने कहा, निचली अदालत के न्यायाधीश द्वारा अधिकतम सजा देने का कोई कारण नहीं बताया गया है, ऐसे में अंतिम फैसला आने तक दोषसिद्धि के आदेश पर रोक लगाने की जरूरत है। शीर्ष अदालत गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली राहुल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। उच्च न्यायालय ने मोदी उपनाम से जुड़े मानहानि मामले में कांग्रेस नेता की दोषसिद्धि पर रोक लगाने के अनुरोध वाली उनकी याचिका खारिज कर दी थी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए आधे घंटे का वक्त दिया गया, जिसमें दोनों पक्षों के वकीलों को बोलने के लिए 15-15 मिनट मिले। इस बीच राहुल गांधी की ओर से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने इस मामले में दलील दी, उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने अपने भाषण में जिन लोगों का नाम लिया है, उनमें से किसी ने मुकदमा नहीं किया लेकिन सिर्फ बीजेपी के नेता ही इसमें मुकदमा कर रहे हैं। वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता का असली सरनेम मोदी नहीं है, वह मोध सरनेम से मोदी बने हैं। उन्होंने यह भी दलील दी कि गवाहों ने साफ कहा है कि राहुल ने पूरे समुदाय का अपमान नहीं किया।
अधिकतम सजा की जरूरत क्यों – सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राहुल गांधी की टिप्पणी गुड टेस्ट में नहीं थी। उनका बयान ठीक नहीं था। पब्लिक लाइफ में इस पर सतर्क रहना चहिए। वहीं कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत ने अपने आदेश में यह साफ नहीं किया कि अधिकतम सजा की जरूरत क्यों थी? जज को अधिकतम सजा की वजह साफ करनी चाहिए थी। ये मामला असंज्ञेय कैटेगरी में आता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों अदालतों ने बड़े पैमाने पर पन्ने लिखे गए, लेकिन राहुल गांधी को अधिकतम सजा क्यों दी, इस पहलू पर विचार नहीं किया गया।
हाई कोर्ट का आदेश उपदेश जैसा – सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात हाई कोर्ट के न्यायाधीश का आदेश पढऩे में बहुत दिलचस्प है। उन्होंने इसमें बहुत उपदेश दिया है। वहीं सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि मैं बता दूं कि कई बार कारण न बताने पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा आलोचना की जाती है, इसीलिए हाई कोर्ट ने विस्तृत कारण बताता है। ऐसी टिप्पणियां थोड़ी हतोत्साहित करने वाली हो सकती हैं।वहीं जस्टिस गवई ने कहा- हम जानते हैं कि टिप्पणियां मनोबल गिराने वाली हो सकती हैं, इसीलिए हम उन्हें लिखने में वक्त लेते हैं, जब तक कि यह बहुत स्पष्ट न हो। वहीं राहुल गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि एसजी केवल एक प्रोफार्मा पार्टी हैं। इस कोर्ट ने उन्हें समय दिया है। वहीं जेठमलानी ने कहा कि उनका (राहुल गांधी) तर्क है कि बदनाम करने का कोई इरादा नहीं था। जस्टिस गवाई ने कहा- हम पूछ रहे हैं कि अधिकतम सजा लगाने का कारण क्या था। अगर उन्हें 1 वर्ष 11 माह का समय दिया होता तो कोई अयोग्यता नहीं होती।
राहुल सत्र में हिस्सा ले सकेंगे – कोर्ट ने उन्हें नसीहत भी दी कि भाषण के वक्त उन्हें सावधानी बरतनी चाहिए। इस फैसले के बाद राहुल गांधी संसद सत्र में हिस्सा ले सकेंगे। उनकी सांसदी भी बहाल होगी। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट में 3 घंटे बहस चली। सुनवाई जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने की। राहुल की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी और पूर्णेश मोदी की तरफ से महेश जेठमलानी ने दलीले दीं।
सच्चाई की जीत होती ही है: राहुल गांधी
सुप्रीम कोर्ट से सजा में राहत मिलने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि आज नहीं तो कल सच्चाई की जीत होती ही है। मुझे क्या करना है मेरे दिमाग में है। राहुल ने जनता के प्यार के लिए भी शुक्रिया अदा किया। वहीं, अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सत्य और साहस की जीत हुई है। राहुल गांधी ने गजब का साहस दिखाया है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी जल्द ही संसद में लौंटेंगे। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरनेम मामले पर सुनवाई करते हुए राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा दी है। इसके बाद उनकी सांसदी की बहाली का रास्ता साफ हो गया है और जल्द संसद सदत्यता बहाल की जा सकती है।