नई दिल्ली । 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की मेजबानी में नया विपक्षी मोर्चा तैयार हो रहा है। मंगलवार को बेंगलुरु में 26 विपक्षी दलों की बैठक के दौरान गठबंधन के नाम पर मुहर लग गई। अब तक समझा जा रहा था कि विपक्षी गठबंधन का नाम यूपीए ही रह सकता है। हालांकि दोपहर 3 बजते-बजते साफ हो गया कि एनडीए के सामने अगले चुनाव में इंडिया लड़ेगा। जी हां, आई से इंडिया, एन से नेशनल, डी से डेमोक्रेटिक, आई से इनक्लूसिव और ए से अलायंस होगा। इंडिया नाम रखने के पीछे कई कारण हो सकते हैं।
विपक्षी नेताओं के धड़ाधड़ आ रहे चक दे इंडिया वाले ट्वीट से साफ हो गया है कि विपक्ष ने कौन सा दांव चला है। अब चुनाव में बार-बार इंडिया नाम सुना जाएगा, जो राष्ट्रवाद की भावना से ओत-प्रोत होगा। दरअसल, भाजपा की अगुआई वाला एनडीए राष्ट्रवाद की काफी बातें करता है। समझा जा रहा है कि एक नया मूमेंटम पैदा करने और मोदी-शाह की जोड़ी के खिलाफ माहौल पैदा करने के लिए काफी सोच-समझकर यह नाम चुना गया है।
सूत्रों ने बताया है कि राहुल गांधी ने विपक्षी मोर्चे का नाम इंडिया रखने का प्रस्ताव रखा, इस प्रस्ताव को सभी दलों ने स्वीकार कर लिया। वहीं उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने भी ट्वीट कर कहा, तब इस बार 2024 होगा, टीम इंडया बनाम बनाम टीम एनडीए चक दे इंडिया! नाम बदलने के पीछे एक सोच यह भी हो सकती है कि यूपीए मोर्चे से काफी कुछ संकेत 2004 और 2009 जैसे मिलते। विपक्षी दल चाहते हैं कि एनडीए के खिलाफ नई मुहिम शुरू हो। हो सकता है कि कांग्रेस पर मोर्चे का नाम बदलने का दबाव भी रहा हो। यूपीए की अगुआ कांग्रेस थी और इस बार शायद तमाम विपक्षी दल अभी किसी को अगुआ मानने के मूड में न हों। उधर, राष्ट्रीय जनता दल ने ट्वीट कर भाजपा पर तंज कसा। ट्वीट में कहा गया, विपक्षी दलों का गठबंधन भारत का प्रतिबिंब है। अब भाजपा को इंडिया कहने में भी पीड़ा होगी। हालांकि कुछ देर बाद ही पार्टी का यह ट्वीट डिलीट कर दिया गया। सोशल मीडिया पर इंडिया गठबंधन की चर्चा होने लगी है। भारत में इंडिया बनाम एनडीए ट्रेंड करने लगा है।