नई दिल्ली । बसपा सुप्रीमों मायावती ने चार राज्यों की चुनावी बागडौर आकाश आनंद को सौंपी है। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना में इसी साल चुनाव होने जा रहे हैं। अब विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियां एक्टिव मोड में आती दिख रही हैं। एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस ने चुनाव को लेकर जनता के बीच पहुंचना शुरू कर दिया है। वहीं दूसरी तरफ मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने भी चुनावी तैयारी शुरू कर दी है। बसपा ने इन राज्यों के चुनाव में मायावती के भतीजे आकाश आनंद को बड़ी जिम्मेदारी दी है। आकाश आनंद को बसपा ने चुनावी राज्यों की जिम्मेदारी सौंपी है।
आकाश ने चुनावी राज्यों की जिम्मेदारी मिलने के बाद ट्वीट कर एक तरह से ये संकेत दे दिए हैं कि उनकी रणनीति दलित-आदिवासी और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को हाथी के साथ लाने की होगी। जानकारी बताते हैं कि आकाश आनंद में मायावती के राजनीतिक वारिस की छवि देखी जाती है। ऐसे में उनको चार चुनावी राज्यों की जिम्मेदारी मिलना नहीं चौंकाता है, लेकिन सियासी गलियारों में इस बात को लेकर चर्चा जरूर शुरू हो गई है कि क्या आकाश आनंद चार ऐसे राज्यों की जिम्मेदारी के साथ न्याय कर पाएंगे जहां एक ही साथ विधानसभा चुनाव होने हैं।
हालांकि बसपा से जुड़े लोग आकाश की सांगठनिक क्षमता और नेतृत्व पर भरोसा व्यक्त कर रहे हैं, चमत्कार की आस व्यक्त कर रहे हैं तो वहीं सियासत के जानकारों की राय कुछ और ही है।आकाश आनंद के सियासी सफर बारे में कहा जा रहा है कि वो साल 2017 में राजनीति में आए। मायावती ने 2017 में एक बड़ी रैली कर आकाश आनंद को राजनीति में लॉन्च किया था। यूपी में आकाश की लॉन्चिंग के बाद बसपा लगातार कमजोर ही हुई है। 2017, 2019 में पार्टी को बड़ी हार मिली तो वहीं 2022 के यूपी चुनाव में तो बसपा महज एक सीट पर सिमट गई। बसपा के प्रदर्शन में आई बड़ी गिरावट के बाद ऐसे राज्यों में जहां पार्टी की जड़ें पुरानी और गहरी तो हैं लेकिन उतनी मजबूत नहीं, आकाश आनंद से किसी चमत्कार की आस बेमानी ही होगी।
इधर बसपा सुप्रीमों मायावती ने जैसे ही भतीजे को बड़ी जिम्मेदारी दी, सियासी गलियारों में आकाश आनंद की सांगठनिक क्षमता को लेकर बहस छिड़ गई। बसपा ने अनुभवी नेताओं को दरकिनार कर युवा चेहरे पर दांव क्यों लगाया। राजनीतिक विश्लेषक भी कहते हैं कि इसके पीछे बसपा और मायावती की रणनीति साफ है। मायावती आकाश आनंद को क्रिकेट की भाषा में कहें तो भविष्य की राजनीति के लिए प्रैक्टिस मैच देना चाहती हैं जिससे उनको चुनावी दांव-पेंच, टिकट वितरण, चुनाव प्रचार और अन्य पहलुओं का अनुभव मिल सके।